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नेता की दबंगई: जहां जाने का नहीं रास्ता आम, नेता प्रतिपक्ष कोठले ने उसी निजी जमीन पर बनवाया मुक्तिधाम Featured

गंभीर आरोप: नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष कमलेश कोठले ने निजी प्लाट में सरकारी पैसे से नाली बनवाई, अफसरों ने जानबूझ कर नहीं की कोई कार्रवाई, अब फाइल गुम हो जाने का बना रहे बहाना।

खैरागढ़. चिटफंड मामले में पिछले तीन महीने से जेल में बंद नेताप्रतिपक्ष कमलेश कोठले का एक और कारनामा सामने आया है। सोनेसरार निवासी राजेश प्रजापति का आरोप है कि कमलेश सहित नगर पालिका के अफसरों ने सरकारी रकम का दुरुपयोग किया है। अब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर फाइल उपलब्ध नहीं होने की बात कह रहे हैं।

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प्रजापति ने मंगलवार को थाना प्रभारी को सौंपे आवेदन में पूरे मामले का उल्लेख करते हुए कमलेश सहित सीएमओ सीमा बख्शी, तत्कालीन सीएमओ पीएस सोम, लेखापाल कुलदीप झा और तत्कालीन सब इंजीनियर प्रशांत शुक्ला के खिलाफ धारा 409, 420, 167, 192 एवं भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत निजी भूमि पर शासकीय लोकधन के गबन का आरोप लगाया है। हालांकि पुलिस ने इस मामले को हस्तक्षेप योग्य न मानते हुए न्यायालय जाने की बात कही है।

प्रजापति का आरोप है कि खसरा नंबर 46/2 रकबा 0.320 हेक्टेयर निजी भूमि हरीश, सीमा, सुमन पिता अरुण कोठले के नाम दर्ज है। इसका अधिनियम के तहत नगर पालिका ने भू-अर्जन भी नहीं किया है। इस भूमि आने-जाने के लिए कोई आम रास्ता भी नहीं है। इसके बावजूद वहां निर्माण कराया गया।

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इसी तरह खसरा नंबर 191/1 रकबा 0.3850 हेक्टेयर है, जो कमलेश के पिता सुदामा कोठले के नाम पर दर्ज है। यह राजनांदगांव रोड स्थित निजी स्थित के बाजू वाला प्लाट है, जहां उनकी डोली है, बारी और पैतृक मकान भी। यहां नगर पालिका ने नाली का निर्माण कराया है।

निर्माण कराया, अब कह रहे फाइल नहीं है

प्रजापति ने बताया कि नगर पालिका ने दोनों ही स्थानों पर निर्माण कराया, लेकिन अब इस निर्माण की जानकारी नहीं दे रहे। अफसर कह रहे हैं कि इस निर्माण से संबंधित फाइल ही उपलब्ध नहीं है। बताया गया कि इस निर्माण के लिए प्रस्ताव भी पारित नहीं किया गया है।

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रोड के लिए मांगी थी जमीन, मैंने मना कर दिया: शिव

सोनेसरार मुक्तिधाम के ठीक सामने स्थित जमीन शिव डड़सेना की है। उन्होंने बताया कि कमलेश ने रोड के लिए जमीन मांगी थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। उन्होंने अफसरों के सामने भी इस निर्माण का विरोध किया था। दरअसल, यहां आने-जाने का कोई आम रास्ता है ही नहीं। पहले यहां से कुछ दूर नदी किनारे अंतिम संस्कार किए जाते थे। यहां मुक्तिधाम बनाने का कोई औचित्य नहीं था।

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Last modified on Wednesday, 21 October 2020 20:25
रागनीति डेस्क-2

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