छुईखदान. भाजपा मंडल छुईखदान में भाजयुमो अध्यक्ष पद को लेकर घमासान मचा हुआ है। मंगलवार को निवर्तमान युवा मोर्चा अध्यक्ष नवनीत जैन की अगुवाई युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष प्रेम नारायण चंद्राकर से मुलाकात कर सभी दावेदारों के नाम जिले में जाने वाली सूची में शामिल किए जाने की मांग की है। जैन ने कहा कि मंडल के सानिध्य में ही युवा मोर्चा कार्य करता है। इसलिए अध्यक्ष कोई भी बने परंतु सभी दावेदारों के नाम जिला पदाधिकारियों तक पहुंचना चाहिए। जिस पर हामी भरते हुए मंडल अध्यक्ष चंद्राकर ने कहा कि वे ज़रूर सभी नामों को भेजेंगे। क्योंकि वे स्वयं गुटबाज़ी से परेशान हैं। इस दौरान नगरपंचायत के पूर्व अध्यक्ष गिरिराज किशोर दास,पूर्व मंडल अध्यक्ष अरविंद शर्मा सहित अन्य भाजपा नेता भी मौजूद थे।
अपने खेमे के कार्यकर्ताओं के लिए नेता लगा रहे जुगत
सिर्फ छुईखदान मंडल की यह स्थिति नहीं है। विधानसभा के लगभग सभी मंडलो में गुटबाजी चरम पर है। बताया जाता है कि भाजपा के सभी आला नेता युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर अपने अपने लोगों को आसीन करने के लिए लामबंद हैं। जिसकी वजह से यह स्थिति निर्मित हो रही है।
आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार
छुईखदान में युवा मोर्चा अध्यक्ष पद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा दावेदारों के नाम सामने आए हैं। जिसमे सबसे पहला नाम मंडल अध्यक्ष प्रेम नारायण चंद्राकर के पुत्र विक्रांत चंद्राकर का है। विक्रांत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लंबे समय से कार्य करते रहे हैं। और हाल के दिनों में पार्टी के खासे सक्रिय हैं। दूसरा नाम ललित चोपड़ा का है। ललित पंचायत के पदों में आसीन रहे हैं। ग्रामीण युवाओं में भी पैठ रखते हैं। अगला नाम जैनेन्द्र जंघेल का है। जैनेंद्र भी युवा मोर्चा की राजनीति में सक्रिय हैं। इनके अलावा भी अलग अलग नाम जिला स्तर पर हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर सांसद तक गुहार
युवा मोर्चा में जारी गुटबाजी का असर ये हैं कि दावेदारों के संरक्षक नेता पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से लेकर सांसद से संतोष पांडेय तक अपने अपने दावेदारों के पक्ष में गुहार लगा चुके हैं।
खैरागढ़ शहर व ग्रामीण से 1 - 1 नाम,गंडई व साल्हेवारा में भी दावेदारों की फेहरिस्त
बताया जाता है कि खैरागढ़ शहर व ग्रामीण मंडल में अध्यक्ष पद को लेकर 1 - 1 नाम भेजे गए हैं। जो आम सहमति कर आधार पर तय की गई हैं। वहीं गंडई,साल्हेवारा में युवाओं की लंबी फेहरिस्त है जो नेताओं की पसंद नापसंद के आधार पर लामबंद हैं।