भवन को समझौता शुल्क की श्रेणी में लाकर भवन स्वामी को लाभ पहुँचाने के मामले में 6 साल बाद दो इंजीनियरों के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा ने मामला दर्ज कर लिया है। उनपर आरोप है कि इंजीनियरों ने ऐसा करके शासन को आठ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
यह मामला 2013 का है। भिलाई निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र अरोरा ने 2014 में आर्थिक अपराध शाखा रायपुर में इसकी शिकायत की थी। छह साल चली जांच के बाद भिलाई निगम के तत्कालीन भवन अनुज्ञा अधिकारी तथा वर्तमान में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत सत्येंद्र सिंह व सब इंजीनियर प्रशांत शुक्ला के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा धारा 13 (1) (डी), 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
ये है पूरा मामला
अर्चना देवी व महावीर जैन के नाम पर शिवनाथ कॉम्पलेक्स ब्लॉक सात में 8 सौ वर्गफीट जमीन आबंटित कर उसका भवन अनुज्ञा भी जारी किया गया था। उक्त स्थल पर व्यवसायिक कॉम्पलेक्स का निर्माण किया गया। मात्र 24 वर्गमीटर अतिरिक्त निर्माण बताकर कॉम्पलेक्स को भवन अनुज्ञा से समझौता शुल्क की श्रेणी में लाया गया। एवज में 17 लाख चार हजार 384 रुपये जमाकर भवन पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। जबकि भवन पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करते समय उक्त कॉम्पलेक्स के प्रथम तल का निर्माण अवैध रुप से किया गया था।
शिकायतकर्ता राजेंद्र अरोरा के मुताबिक भवन अनुज्ञा के अनुसार भवन की ऊंचाई 15 मीटर होनी थी, उसे 16.85 मीटर बताकर समझौता शुल्क की श्रेणी में लाकर भवन स्वामी को फायदा पहुंचाया गया। जबकि भवन की वास्तविक ऊंचाई 23 मीटर थी। जिसे तोड़ने के बाद ही भवन अनुज्ञा से मिलान कर समझौता शुल्क लेना था।