Print this page

एलुमनी मीट: 28 ऑपरेशनों की तकलीफ भी रोक नहीं पाई, दोस्तों से मिलकर खिल उठे चेहरे

By December 31, 2018 870 0

 

खैरागढ़. अपने दोस्तों के साथ बैठकर पुराने दिनों काे याद करते रीवा से आए सीनियर लेक्चरर गिरधर कुमार दुबे।

नियाव@ खैरागढ़

संगीत विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम के मंच पर इंदौर से आए प्रो. हर्षवर्धन ठाकुर ने डांस डिपार्टमेंट की डीन प्रो. नीता गहरवार को नीता दीदी कहकर संबोधित किया और लाल लक्ष्मी नारायण सिंह को लच्छू भैया। बस इसी एक संबोधन के बाद सारी औपचारिकताएं अपनेपन में घुल मिल गईं। दोस्तों से मिलने का जुनून दिखा 62 साल के गिरधर कुमार दुबे में, जो 28 आॅपरेशन की तकलीफें भूलकर रीवा मध्यप्रदेश से खैरागढ़ पहुंचे।


एलुमनी मीट में मिले दोस्तों के बीच जब 40 साल पुरानी यादें ताजा हुईं तो सफेद बाद और चेहरे की झुर्रियों में जवानी का दौर लौट आया। शुक्रवार शाम से ही विश्वविद्यालय में कुछ अलग ही बयार चलने लगी थी। शनिवार सुबह जब ऑडिटोरियम में एक-दूसरे से परिचय हुआ तो बातों का सिलसिला चल निकला। यहीं बैठे रीवा के सीनियर लेक्चरर गिरधर दुबे ने बताया कि 31 दिसंबर को वे 62 साल के हो जाएंगे। मुंबई और लखनऊ के अस्पतालों में हुए 28 अॉपरेशन के बाद एक पैर छोटा हो चुका है। चलने में तकलीफ हो रही है, लेकिन अपनों से मिलने का लालच मुझे यहां ले आया।


खैरागढ़. उज्जैन से आई संध्या देवले की बेटी रागिनी कीी गायिकी ने सभी का मन मोह लिया।

मंच पर दिखाया अपना हुनर भी / पहले सत्र में परिचय के बाद कई भूतपूर्व छात्रों ने मंच पर अपना हुनर भी दिखाया। इसमें मुंबई से आए कल्याण सेन, डॉ. श्रीराम मूर्ति, विजया घोष, चंदना सेन, अनुराग चौहान, पुष्पलता नेताम ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। कुछ ने तो अपने बच्चों की प्रतिभा को दोस्तों के सामने रखा। उज्जैन भोपाल से आई संध्या देवले की बेटी रागिनी ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी।


वाट्सएप ग्रुप जोड़कर दोस्तों को इकट्ठा किया / इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में 1973 से 1986 तक संगीत साधना करने वाले भूतपूर्व छात्र सबसे पहले एक वाटस्एप ग्रुप से जुड़े। इसी में बातचीत के दौरान एलुमनी मीट के जरिए दोस्तों को इकट्‌ठा करने का प्लान बनाया। इस पूरे कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की तरफ से संयोजक की भूमिका निभाई असिस्टेंट प्रोफेसर लिकेश्वर वर्मा ने।


कुलपति को भेंट किया स्मृति चिन्ह / भूतपूर्व छात्र सुरेश नायक ने स्व. बसंत रानाडे का पोट्रेट बनाया, जिसे कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने रानाडे परिवार को भेंट किया। डॉ. तृप्ति सिंह ने कहा विश्वविद्यालय परिसर को देखकर मैं अभिभूत हूं। चक्रधर कथक केंद्र के संचालक कृष्ण कुमार सिंन्हा ने भी अपने दोस्तों के साथ बिताए दिनों को याद किया।


और इसे भी जरूर पढ़ें...

डच के क्रांतिकारी चित्रकार वान गाग की पेंटिंग से बोल उठीं विश्वविद्यालय की दीवार

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Thursday, 09 January 2020 12:07
वेब एडमिन

Latest from वेब एडमिन