आदिरंग महोत्सव में दिखे देशभर की आदिवासी कला के रंग/ 25 फरवरी से 27 फरवरी तक चले आदिरंग महोत्सव में देशभर की आदिवासी कलाएं देखने को मिली। मंच पर नृत्य-नाट्य और परिसर में लगे 30 स्टालों पर हस्तशिल्प का मेला लगा रहा। देशभर से आए कलाकारों के हुनर को संगीत नगरी ने खूब सराहा।
नियाव@ खैराागढ़. गोपी-कृष्ण भेष में आदिरंग के मंच पर उतरे ओडीसा के कलाकारों ने जब छाऊ डांस से दर्शकों को रोमांचित किया। उनकी कलाबाजियां और चेहरों के भाव देख दर्शक दीर्घा में खूब वाहवाही हुई। मध्यप्रदेश की धुलिया जनजाति के तीज-त्योहारों में बजने वाले गुदुम बाजा की गूंज पूरी संगीत नगरी ने सुनी। फिर चिर-परिचित अंदाज में प्रस्तुति देने वाले पंथी और कर्मा के कलाकारों को दर्शकों ने सहर्ष स्वीकारा। मांदर की थाप पर तालियां बंटोरी। गुजरात की शादियों में धूम मचाने वाले गागर नृत्य ने मन मोह लिया। लद्दाख में जाब यानी पैर और रो मतलब गर्म करना। इस तरह जाबरो की प्रस्तुति ने पूरे माहौल में गर्मी ला दी। एक के बाद एक विभिन्न राज्यों की प्रस्तुति ने आखिरी दिन भी दर्शकों को बांधे रखा।
इन विलुप्त वाद्यों से निकले लोक धुनों ने किया मंत्रमुग्ध / पेंडुल, तोरम, ढोल, तुड़बड़ी, गोती बाजा, धुरवा, मांदरी, माहिर, गिरगीन, हुलकी, तातापूती, कीकीड़, हिरनाग, चुटकुल, कीरकिचा जैसे विलुप्त हो चुके वाद्याों से निकले लोक धुनों ने संगीत प्रेमियों को बांधे रखा।
बस्तर बैंड की की स्वर लहरी में डूब श्रोता / एनएसडी व इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के इस आयोजन में मंगलवार शाम बस्तर बैंड की शानदार प्रस्तुति कैंपस-2 के ऑडिटोरियम में हुई। जम्मू- कश्मीर, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, मिजोरम आदि लोकनृत्यों को देखने हुजूम उमड़ा।
हर राज्य की अपनी लोकनृत्य शैली ने संगीत नगरी के दर्शकों को बांधे रखा...
ओडिसा का मयूरभंज छाऊ नृत्य...
रांची झारखंड का पाइका नृत्य...
जामनगर गुजरात का गागर नृत्य...
लद्दाख का जाबरो नृत्य...
ओडीसा का रणप्पा नृत्य...
हरियाणा का बीन जोगी नृत्य...
त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य...
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