प्रतिनियुक्ति और संविदा की नीति पूरी तरह निष्प्रभावी
खैरागढ़. शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जिले में चल रही युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया के दौरान ऐसा बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें शासन के स्पष्ट आदेशों को दरकिनार कर साल्हेवारा स्थित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय (सेजेस) में दो स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। जबकि नियमों के अनुसार इन विद्यालयों में पद पूर्ति केवल प्रतिनियुक्ति या संविदा के माध्यम से ही हो सकती है। इस खुलासे के बाद विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
विवाद की जड़ : दो शिक्षकों की पदस्थापना
जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी ने 2 जून को आदेश जारी कर देवनारायण साहू (शिक्षक एलबी) और तारा जंघेल (शिक्षिका एलबी) को साल्हेवारा स्कूल में पदस्थ कर दिया। देवनारायण साहू पहले खैरगढ़ विकासखंड के बैगाटोला स्कूल में कार्यरत थे, जबकि तारा जंघेल सूराडबरी स्कूल में पढ़ा रही थीं।
देवनारायण साहू ने खुद बताया कि काउंसलिंग के समय स्कूल का नाम केवल शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला साल्हेवारा लिखा गया था। इसमें यह उल्लेख नहीं था कि यह सेजेस या आत्मानंद स्कूल है। इसी वजह से मैंने इसे चुना। जब ज्वाइनिंग के लिए पहुंचा तो पता चला कि यह आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय है, जो युक्तियुक्तिकरण के दायरे से पूरी तरह बाहर है।
शासन के आदेश का हवाला
शासन ने 24 जून 2022 को स्पष्ट आदेश जारी किया था कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों — चाहे वे हिन्दी माध्यम हों या अंग्रेजी माध्यम — में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी। इनमें पद पूर्ति केवल संविदा या प्रतिनियुक्ति के आधार पर की जाएगी। आदेश के अनुसार, प्रतिनियुक्त शिक्षक को अपने मूल विभाग के अनुसार ही वेतन-भत्ते मिलेंगे, जबकि संविदा पर केवल निर्धारित मानदेय दिया जाएगा। स्थायी नियुक्ति की कोई अनुमति नहीं है।
अधिकारियों के बयान में टकराव
इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी लालजी द्विवेदी ने सफाई दी कि हमें ऑनलाइन मीटिंग के दौरान निर्देश मिले थे कि यदि सेजेस विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है तो अतिशेष शिक्षकों को वहां पदस्थ किया जा सकता है। लेकिन इस मामले पर उप संचालक एएस बंजारे ने स्पष्ट कहा कि आत्मानंद विद्यालयों को युक्तियुक्तिकरण की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। इनमें न तो स्थायी पदस्थापना होनी है और न ही स्थानांतरण।
वही उपसंचालक अशुतोष चौरे ने स्पष्ट किया कि सेजेस स्कूल में किसी शिक्षक को हटाने का उनका कोई निर्देश नहीं था। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो भी निर्देश जारी किए गए हैं, वे सचिव महोदय के आदेशों के आधार पर ही दिए गए हैं। हिन्दी माध्यम सेजेस स्कूल में यदि शिक्षकों की कमी है तो नियमित शिक्षक को प्रतिनियुक्ति मानकर पदस्थापित करना चाहिए। साथ ही उन यह भी कहा कि इस मामले की विस्तृत जानकारी लेकर स्थिति स्पष्ट करेंगे।
अधिकारियों के परस्पर विरोधी बयान यह संकेत देते हैं कि या तो आदेश की गलत व्याख्या हुई है या फिर जानबूझकर नियमों की अनदेखी की गई है।
विशेषज्ञों की राय और बढ़ते सवाल
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि युक्तियुक्तिकरण का मूल उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का संतुलित वितरण करना है। सेजेस विद्यालयों को इससे बाहर रखने का कारण यह है कि इनका संचालन विशेष प्रबंधन समिति के तहत होता है और यहां नियुक्ति की प्रक्रिया अलग है। यदि स्थायी नियुक्ति का रास्ता खोल दिया गया तो प्रतिनियुक्ति और संविदा की नीति पूरी तरह निष्प्रभावी हो जाएगी।
एक गड़बड़ी से सेजेस में स्थायी पदस्थापना की मांग को मिलेगी बढ़ावा
इस प्रकरण ने विभागीय पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षा विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यदि इस पर जांच बैठी तो संबंधित अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई तय है। साथ ही, यह मामला भविष्य में अन्य शिक्षकों द्वारा भी आत्मानंद स्कूलों में स्थायी पदस्थापना की मांग को बढ़ावा दे सकता है।