खैरागढ़. ग्राम सर्रागोंदी में पूजनीय पीपल वृक्ष काटे जाने के चर्चित मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी इमरान मेमन की जमानत याचिका अपर सत्र न्यायाधीश मोहनी कंवर की अदालत ने सोमवार को खारिज कर दी। अदालत में दोनों पक्षों के बीच करीब एक घंटे तक तीखी बहस चली। अदालत के फैसले के बाद अब आरोपी पक्ष ने घोषणा की है कि वे हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर करेंगे।
बचाव पक्ष ने कहा — “राजनीतिक रंग देकर बनाया गया मामला”
अदालत में आरोपी की ओर से अधिवक्ता एच.बी. गाजी ने पैरवी करते हुए कहा कि घटना को अनावश्यक रूप से धार्मिक रूप दिया गया है। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण और निजी निर्माण कार्यों के दौरान कई पीपल के वृक्ष कट चुके हैं, परंतु किसी ने आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा, “इमरान मेमन ने अपनी भूमि का समतलीकरण कराने के लिए मजदूरों को कहा था, उसी दौरान पेड़ काटा गया। यह वृक्ष शासकीय भूमि में था, ऐसा कोई प्रमाण या दस्तावेज मौजूद नहीं है।”
गाजी ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल का किसी भी सांप्रदायिक संगठन से कोई संबंध नहीं है और यह घटना पूरी तरह राजनीतिक द्वेष के कारण उछाली जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी को दो बार रिमांड में लेकर प्रताड़ित किया, जिससे यह स्पष्ट है कि कार्रवाई पक्षपातपूर्ण रही है।
सरकारी वकील बोले — “पीपल वृक्ष शासकीय भूमि पर था, भावना हुई आहत”
सरकारी पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी ज्ञानदास बंजारे ने कहा कि तहसीलदार और पटवारी की रिपोर्ट पहले से रिकॉर्ड पर है, जिससे यह साबित होता है कि विवादित पीपल वृक्ष शासकीय भूमि पर स्थित था। उन्होंने अदालत को बताया कि आरोपी को ग्रामवासियों द्वारा पहले ही आगाह किया गया था, बावजूद इसके उन्होंने रात में पेड़ काट दिया, जिससे गांव में धार्मिक आस्था और शांति भंग हुई।
ग्रामीण पक्ष ने दी दलील — “पीपल में भगवान का वास, जानबूझकर काटा गया वृक्ष”
ग्रामीणों की ओर से अधिवक्ता राजीव चंद्राकर ने अदालत में कहा कि आरोपी का कृत्य जानबूझकर और सोची-समझी योजना के तहत किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि “श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 10, श्लोक 26 में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं — ‘अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम्’ अर्थात मैं वृक्षों में पीपल हूं। इस आधार पर किसी भी पीपल वृक्ष को काटना सीधे-सीधे हिंदू समाज की धार्मिक भावना को आहत करता है।”
चंद्राकर ने यह भी कहा कि घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त हुआ और यदि आरोपी को जमानत दी जाती तो कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता था। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि आरोपी को फिलहाल जेल में ही रखा जाए ताकि शांति बनी रहे।
बचाव पक्ष का पलटवार — “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं”
अदालत के फैसले के बाद अधिवक्ता एच.बी. गाजी ने कहा कि उनका मुवक्किल राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। उन्होंने कहा, “यह विशुद्ध रूप से भूमि समतलीकरण का मामला था, लेकिन कुछ लोगों ने इसे धार्मिक रंग देकर तोड़-मरोड़ प्रस्तुत किया। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। हम जल्द ही हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करेंगे, जहां सच्चाई अपने आप सामने आ जाएगी।”
पुलिस ने बढ़ाई तलाशी की रफ्तार
वहीं पुलिस सूत्रों ने बताया कि जांच में आरोपी इमरान मेमन और उसके साथी प्रकाश कोसरे की संलिप्तता स्पष्ट हो चुकी है। दोनों को सलोनी जेल भेजा जा चुका है, जबकि वृक्ष काटने में प्रयुक्त लकड़ी काटने की मशीन (लखा मशीन) की तलाश गोताखोरों की मदद से जारी है।
गौरतलब है कि सर्रागोंदी में पूजनीय पीपल वृक्ष काटे जाने के बाद से ग्रामीणों में गहरा रोष है।