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नकली दवा ने जला दी छह एकड़ फसल — किसान बोला, मुआवजा नहीं तो न्याय जरूर चाहिए Featured

खैरागढ़. जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत चंदेनी के अश्रित ग्राम डुंडा के किसान गजेश कुमार वर्मा ने अतरिया स्थित पन्ना कृषि केन्द्र के संचालक के खिलाफ जिला कलेक्टर और कृषि विभाग को लिखित शिकायत सौंपी है। किसान का आरोप है कि कृषि केन्द्र से खरीदी गई दवाओं के छिड़काव के बाद उनकी छह एकड़ में लगी धान की पूरी फसल पीली पड़कर सूखने लगी और बर्बाद हो गई।

 

किसान की आपबीती: दवाई ने बचाया नहीं, फसल को खत्म कर दिया

किसान गजेश वर्मा पिता जोहनराम वर्मा ने बताया कि उन्होंने 11 सितंबर 2025 को पन्ना कृषि केन्द्र, अतरिया से 11,810 रुपए की दवा खरीदी और मजदूरों से छिड़काव कराया। इसके बाद 16 सितंबर को 5,200 रुपए की अतिरिक्त दवा ली और शेष दो एकड़ खेत में छिड़काव कराया।

 

परिवार में गमी होने के कारण किसान कुछ दिनों तक खेत नहीं जा सके। जब वे 2 अक्टूबर को खेत पहुंचे, तो देखा कि धान की फसल पीली पड़ चुकी थी और मरने लगी थी। किसान ने तुरंत दुकान संचालक को सूचना दी, लेकिन वह मौके पर नहीं आया। बाद में उक्त कृषि केन्द्र से ₹14,400 की नई दवा दी गई, जिसे उसी दिन छिड़काया गया। अगले दिन यानी 3 अक्टूबर को फसल पूरी तरह पीली पड़कर नष्ट हो गई।

 

किसान के अनुसार, उन्होंने कुल 34,060 रुपए की दवाएं खरीदीं, लेकिन पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। अब उन्हें करीब 4 लाख 65 हजार रुपये का नुकसान हुआ है।

 

दुकानदार ने कहा – “जा, जो करना है कर ले”

किसान ने बताया कि जब उन्होंने पन्ना कृषि केन्द्र के संचालक राजकुमार वर्मा और कर्मचारी धनंजय कोसरे (निवासी केशला) से नुकसान की बात कही, तो उन्होंने दुर्व्यवहार करते हुए मुआवजा देने से इंकार कर दिया और कहा कि जा, जो करना है कर ले, मैं कोई मुआवजा नहीं दूंगा।

 

इस पर नाराज किसान ने जिला कलेक्टर और कृषि विभाग में लिखित शिकायत कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने दवा की रसीदें भी साक्ष्य के रूप में संलग्न की हैं।

 

नकली दवाओं का कारोबार चरम पर, किसान हो रहे ठगी के शिकार

कृषि क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक जिले में कई कृषि केन्द्र बिना किसी कंपनी प्रिंसिपल सर्टिफिकेट के मनमाने ढंग से दवाएं बेच रहे हैं। 300 रुपए की दवा को ब्रांडेड बताकर 1000 रुपए तक में बेचा जा रहा है और किसानों को कच्चे बिल (बिना जीएसटी) थमाए जा रहे हैं।

 

स्थानीय किसान हितेश वर्मा ने बताया कि दुकानदार अंग्रेजी में दवाओं के तकनीकी नाम बताकर भोले-भाले किसानों को भ्रमित करते हैं और गलत उत्पाद थमाकर भारी मुनाफा कमाते हैं।

 

लायसेंस किसी और का, दुकान चलाते कोई और

जिले के कई कृषि केन्द्रों में लायसेंस महिला के नाम पर होते हैं, लेकिन दुकान पुरुष चला रहे हैं। कई जगहों पर कर्मचारी बिना प्रशिक्षण या अनुमति के दवाएं बेच रहे हैं, जो विभागीय निगरानी पर सवाल खड़ा करता है।

 

विभाग की निगरानी पर सवाल

जिला पंचायत सदस्य एवं कृषि विभाग के सभापति दिनेश वर्मा ने कहा कि उन्हें अभी तक किसी भी कृषि विभाग के शिविर में आमंत्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर कृषि विभाग नियमित रूप से गांवों में जागरूकता शिविर लगाता, तो किसानों को नकली दवाओं के जाल से बचाया जा सकता था। अगर किसान की फसल बर्बाद हुई है, तो निश्चित ही उसी क्षेत्र के अन्य किसानों की फसल भी प्रभावित हुई होगी। इसकी जांच होनी चाहिए और गलती पाई जाती है तो कठोर कार्रवाई जरूरी है।

 

शिकायत मिली है, जांच होगी- साहू 

कीटनाशक निरीक्षक लुकमान साहू ने बताया कि किसान गजेश वर्मा की शिकायत प्राप्त हुई है। कल मैं स्वयं खेत का निरीक्षण करने जाऊंगा और उस कृषि केन्द्र की भी जांच करूंगा, जहां से दवा खरीदी गई थी। यह देखा जाएगा कि किसान को कौन-सा उत्पाद दिया गया था और वह अधिकृत कंपनी का है या नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि किसी भी कृषि केन्द्र को दवा बेचने के लिए प्रिंसिपल सर्टिफिकेट जरूरी होता है, जिसकी जानकारी हमारे पास रहती है। एक कृषि केन्द्र कई कंपनियों की दवाएं बेच सकता है, बशर्ते वह सभी कंपनियों को अपने पीसी में पंजीकृत करे। जिन कीटनाशक दुकानों में कमी पाई गई, उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। विभाग द्वारा ‘कृषि संकल्प’ नामक अभियान चलाया जा रहा है ताकि किसान जागरूक हो सकें

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