रायपुर। छत्तीसगढ़ की लोककलाओं और संस्कृति को सहेजने , संवारने और उसे आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य निर्माण के 20 साल बाद छत्तीसगढ़ की कला, संगीत, भाषाई विकास के लिए एक ही छत के नीचे अब एकीकृत प्रयास हो पाएगा। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के गठन की विधिवत दे दी गई है। इस परिषद के अंतर्गत संस्कृति विभाग की समस्त इकाइयों को एकरूप किया जाएगा।
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छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद का मुख्य काम राज्य में साहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्र एवं मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी एवं लोककलाओं को प्रोत्साहन एवं उन्हें संरक्षण देना होगा। इसके लिए परिषद सांस्कृतिक विरासतों की पहचान, उनका संरक्षण एवं संवर्धन करेगा। सृजनशील संस्कृति के लिए मंचों, कला-संग्रहालयों, वीथिकाओं का विकास, प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के मंचों की स्थापना के साथ ही विभिन्न तरह के आयोजन करेगा।
प्रदेश में एक और महत्वपूर्ण कार्य होगा, वह राष्ट्रीय स्तर के लब्ध प्रतिष्ठित कला, संस्कृति और शिक्षण से जुड़ी संस्थाओं से छत्तीसगढ़ का जीवंत संवाद स्थापित करना होगा। प्रदेश की संस्कृति नीति के अनुरूप स्कूली, उच्च शिक्षा सहित अन्य शासकीय विभागों से सामंजस्य स्थापित कर संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। साहित्यिक-सामाजिक विषयों पर शोध और सृजन में प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाएगा। संस्कृतिकर्मियों व संस्थाओं को विभिन्न विधाओं के लिए दिए जाने वाले फैलोशिप, पुरस्कारों का संयोजन परिषद द्वारा किया जाएगा। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग काम करेंगे।
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