खैरागढ़. खैरागढ़ - छुईखदान - गण्डई जिला अब राजनांदगांव जिले से अलग होकर एक नए प्रशासनिक इकाई का स्वरूप लेगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने घोषणा के अनुरूप नए जिले का उद्घाटन कर करोड़ों रूपए के विकास कार्यों की भी सौगात देंगे। खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहा है। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण होने से शासन-प्रशासन इन क्षेत्रों में जनसामान्य के और निकट पहुंचेगा। जिला बनने से पूर्व ही मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जालबांधा को उप तहसील और वनांचल क्षेत्र की सुविधाओं को देखते हुए साल्हेवारा को तहसील का दर्जा दे दिया गया है। जिससे जनसामान्य में जबर्दस्त देखा जा रहा है। आने वाले समय में आम जनता को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और इन क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन होंगे तथा तीव्र गति से विकास होगा। नया जिला बनने से जनआकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिली है और नई उम्मीद और नई संभावना के रास्ते खुलेंगे। खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला सघन वनों से आच्छादित है और प्रचुर मात्रा में वन संपदा से समृद्ध है।प्रस्तावित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई नवीन जिला दुर्ग संभाग के अंतर्गत होगा। इसके उत्तर में जिला कबीरधाम, दक्षिण में तहसील डोंगरगढ़, तहसील राजनांदगांव जिला-राजनांदगांव, पूर्व में तहसील साजा जिला-बेमेतरा, तहसील- धमधा जिला दुर्ग, पश्चिम में तहसील लांजी जिला-बालाघाट (मध्यप्रदेश) की सीमा से लगी हुई है।
1 लाख 55 हजार 197 हेक्टेयर में होगा नया जिला, 3 लाख 68 हजार 44 जनसंख्या
प्रस्तावित खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई नवीन जिले की जनसंख्या 3 लाख 68 हजार 444 है। कुल ग्रामों की संख्या 494 तथा 3 नगरीय निकाय हैं। दो उप खण्ड खैरागढ़ एवं गण्डई-छुईखदान होंगे। 3 तहसील गण्डई, छुईखदान, खैरागढ़ होंगे। वहीं 2 विकासखण्ड छुईखदान एवं खैरागढ़, 16 राजस्व निरीक्षक मंडल, 13 हजार 562 राजस्व प्रकरणों की संख्या, 1 लाख 18 हजार 183 हेक्टेयर कुल मकबूजा रकबा, 37 हजार 14 हेक्टेयर कुल गैर मकबूजा रकबा, 1 लाख 55 हजार 197 हेक्टेयर कुल राजस्व क्षेत्रफल, कुल खातेदारों की संख्या 1 लाख 53 हजार 663, 107 कुल पटवारी हल्का, 221 कुल ग्राम पंचायत, 338 कोटवार, 316 पटेल है।
नया जिला बनने से दुरस्थ वनांचल क्षेत्र को मिलेगा लाभ
दूरस्थ अंचलों के ग्रामीणों को राजनांदगांव जिला मुख्यालय आने के लिए 40 किलोमीटर लंबी दूर का सफर तय करना होता है। ऐसे में नया जिला बन जाने से उन्हें राहत मिलेगी और कई महत्वपूर्ण कार्य आसानी से होंगे। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण होने का फायदा आम जनता को मिलेगा। बुनियादी सुविधाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, खाद्यान्न लोगों तक आसानी से उपलब्ध होगी और सुविधाओं का विस्तार होगा। वहीं शासन की लोककल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन दूरस्थ अंचलों तक आसानी होगा। रोड कनेक्टिविटी, पुल-पुलिया के निर्माण से सुदूर वनांचल के क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ेगी।
कोदो, कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख की प्रचुर मात्रा में उत्पादन
खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला के सघन वनों में लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। कोदो, कुटकी, रागी, भेलवा, बहेड़ा, कालमेघ, लाख, माहुल पत्ता का संग्रहण कर इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लघु वनोपज संग्राहकों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ मिल रहा है। इस क्षेत्र में विकास के और भी नए रास्ते खुलेंगे। वृक्षारोपण, वनोपज विदोहन, नरवा विकास, वन एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्यों में प्रशासनिक कसावट आएंगी तथा विकासोन्मुखी सुविधाओं का विकास होगा।
लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र खुलेगा, गौण खनिज से बढ़ेगा राजस्व
हाल ही में खैरागढ़ वनमंडल के गण्डई वन परिक्षेत्र अंतर्गत लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र के स्थापना की स्वीकृति प्राप्त हुई है। 70 लाख रूपए की लागत से स्थापित होने वाले इस लघु वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र से वनोपज आधारित आजीविका के साधन सुलभ होंगे तथा सतत रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।<br>खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला खनिज संसाधनों के मामले में भी समृद्ध है, जिससे औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। खैरागढ़ क्षेत्र में चूना पत्थर गौण खनिज उपलब्ध है। वहीं इसके साथ ही क्वार्टजाईट, सिलिका सेण्ड, ईट मिट्टी जैसे खनिज उपलब्ध हैं। वहीं छुईखदान क्षेत्र में मुख्य खनिज चूना पत्थर उपलब्ध है तथा साधारण पत्थर एवं लौह खनिज अयस्क मिलने की संभावना है।
सिंचाई परियोजना से बदलेगी क्षेत्र की तस्वीर
शासन द्वारा 220 करोड़ 7 लाख 19 हजार रूपए की लागत से निर्माणाधीन सिद्धबाबा जलाशय लघु सिंचाई परियोजना से इस क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। लमती नदी में बनने वाले इस परियोजना से 34 ग्राम लाभान्वित होंगे तथा 1 हजार 840 हेक्टेयर की भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। कृषि क्षेत्र में विकास के अवसर बढ़ेगे। वहीं सुरही जलाशय लघु सिंचाई परियोजना अंतर्गत वेस्ट वियर की ऊंचाई बढ़ाने तथा नहर का विस्तार का जीर्णाेद्धार, लाइनिंग कार्य तथा नहर विस्तार किया जा रहा है। जिससे सिंचाई के रकबा में 120 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी होगी। पिपरिया जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना से 91 ग्राम लाभान्वित हो रहे हैं तथा 6 हजार 240 हेक्टेयर रकबा में सिंचाई हो रही है। नया जिला गढऩे की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये जा रहे हैं और आने वाले वर्षों में इसके सुखद परिणाम मिलेंगे।
जिला केसीजी में शैक्षणिक व्यवस्था
नया जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में शैक्षणिक व्यवस्था अन्य नवगठित जिलों से बेहतर है। यहां एशिया का प्रथम इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय है। कला, वाणिज्य, विज्ञान कॉलेज है। डाईट है। शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज है। केंद्रीय विद्यालय है। आईटीआई कॉलेज है। कृषि महाविद्यालय है। तीन स्वामी आत्मानंद स्कूल है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा से संबंधित निजी संस्थाएं भी पर्याप्त संख्या में है।
पर्यटन के क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं
यहां इंदिरा कला संगीत विवि शिक्षा के साथ-साथ पर्यटन स्थल का दर्जा रखता है। इसके अलावा यहां सर्वाधिक प्राचीन रूक्खड़ स्वामी मंदिर, वीरेश्वर महादेव मंदिर, 250 साल पुराना गोपीनाथ मंदिर, प्रधानपाठ बैराज, सि़द्वबाबा जलाशय, मोंगरा जलाशय, छिंदारी बांध, ,पांडादाह में जगन्नाथ मंदिर, बैताल रानी घाटी, नर्मदा मंदिर, गंगई मंदिर मंडिपखोल गुफा, साल्हेवारा में ठाठ पानी व वॉटर फॉल, वन आच्छादित क्षेत्र। मां वैष्णो देवी मंदिर छुईखदान, मलैदा का जंगल, ग्रीष्मकालीन पर्यटन स्थल, गंडई से साल्हेवारा मार्ग होते हुए कान्हा केसली जाने का सुगम मार्ग होने से पर्यटकों लुभाया जा सकता है, बशर्ते जिले के पर्यटकों को संवर्धित और संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य किए जाने की जरूरत है। इसके अलावा खैरागढ़ से कवर्धा तक धार्मिक तीर्थाटन क्षेत्र बनाए जाए की मांग पूरी हो जाने पर यहां बेहतर पर्यटन क्षेत्र विकसित हो सकता है।
राजनीति में खैरागढ़ का योगदान
खैरागढ़ ने प्रदेश और देश की राजनीति में बड़ा योगदान दिया है। मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल विवि खैरागढ़ के पदुमलाल पुन्ना लाल बख्शी स्कूल में अध्यापक थे। उन्हे यहां के राजा ने बुलवाया था। वहीं मध्यप्रदेश की सरकार में पहली महिला मंत्री खैरागढ़ की ही पदमा देवी सिंह थी। छत्तीसगढ़ की पहली महिला मंत्री गीता देवी सिंह भी खैरागढ़ की ही थी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में पहला युवक कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व विधायक देव्रवत सिंह थे। राजनांदगांव में सर्वाधिक सांसद देने वाला भी खैरागढ़ ही है। अविभाजित मध्यप्रदेश में राजनांदगांव की राजनीति में खैरागढ़ का ही दबदबा रहा है। छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का भी खैरागढ़ से गहरा नाता है। पूर्व सांसद शिवेंद्र बहादुर जैसे प्रभावशाली नेता भी खैरागढ़ की माटी ही जन्मे हैं। यही नहीं छत्तीसगढ़ शब्द का पहला प्रयोग भी खैरागढ़ के दलपत राव कवि ने ही की थी।