परिसीमन का विरोध करने पर सभापति मनराखन ने नगर में भाजपा के कार्यकाल उठाई थी उंगली, उस पर पार्षद शेष नारायण यादव ने किया पलटवार।
खैरागढ़. पालिका चुनाव को तकरीबन तीन महीने बाकी हैं, लेकिन परिसीमन के प्रस्ताव बाद जुबानी जंग शुरू हो चुकी है। पहले परिसीमन पर भाजपा की आपत्ति को लेकर कांग्रेस के सभापति मनराखन देवांगन ने विक्रांत के कार्यकाल को कटघरे में खड़ा कर दिया था। गोकुल नगर के पार्षद शेषनारायण यादव ने उनके ही दिए बयान पर देवांगन को घेरा।
शेष ने कहा- 'दस साल तक विक्रांत सिंह के अध्यक्षीय कार्यकाल में सभापति देवांगन ने शहर विकास के हर प्रस्ताव का समर्थन किया। तब किसी भी बात पर मुखर नहीं हुए, लेकिन चुनाव की सुगबुगाहट होते ही जनता के बीच साफ सुथरी छवि साबित करने बीते दो माह से सक्रियता बरत रहे हैं। अब मनगढ़ंत आरोप भी लगा रहे हैं। शेष ने तो यह तक कह दिया कि इससे पहले मनराखन पीआईसी या परिषद की बैठकों से ज्यादातर गायब रहते थे।'
शेष बोले- ‘साढ़े चार साल आपसी अंर्तकलह में गुजारने वाले कांग्रेस सभापति का भाजपा पर शहर विकास के मुद्दे में विरोध समझ से परे है। चुनाव जीतने के बाद पीआईसी गठन के दौरान मनचाहा विभाग (लोक निर्माण विभाग) नहीं मिलने से नाराज मनराखन ने इस्तीफा दिया था। इस बात को मनमस्तिष्क में रखकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करें।’ Khairagarh Politics: मनराखन का पलटवार- पहले वादा कर 15 साल भूले, अब विकास का विरोध कर रहे भाजपाई
उन्होंने सभापति के कथन को भी अंडर लाइन करते हुए जवाब दिया, ‘नगर पंचायत से नगर पालिका में प्रमोशन वर्तमान जिपं उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह के कार्यकाल में हुआ था, उस समय जिन गांवों को इसमें शामिल किया गया था वहां पुल-पुलिया, आवाजाही के सुगम रास्ते, पेयजल की व्यवस्था, नाली, प्रधानमंत्री आवास सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन का मैदानी अवलोकन करने के बाद ही सभापति भाजपा पर आरोप लगाएं।’
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शेष ने सभापति मनराखन देवांगन के आरोपों के जवाब में पलटवार किया, पूछा कि क्या अमलीडीह खुर्द, मोंगरा, लालपुर, पिपरिया और धनेली के लोगो को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने नगर पालिका में जोडऩा गलत था और यदि ऐसा है तो क्या सभापति उन्हें इन सुविधाओं से महरूम कराकर पालिका को वापस नगर पंचायत बनाने की सोच रखते हैं?
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‘साढ़े चार साल नपा की सत्ता मे काबिज कांग्रेस के खाते में विकास का खाता शून्य है। शहर में आज जो भी दिख रहा है वह सब भाजपा कार्यकाल में हुआ है। अभी भी केंद्र प्रवर्तित योजना का करोड़ों रुपया नपा के पास है लेकिन उसके खर्च को लेकर इतने सालों में नीति नियम नहीं बना सकने वाली कांग्रेस और उसके सभापति, पार्षद अपनी नाकामी छुपाने और शहर विकास को लेकर खुद को हितचिंतक साबित करने अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।’
'पूर्व और वर्तमान सांसद के कार्यकाल में केंद्र सरकार ने 14वें और 15वें वित्त से चार करोड़ से ज्यादा राशि नपा को दिया है। उस राशि से शहर विकास और मूलभूत सुविधाओं में विस्तार की बात करना छोडक़र नपा ब्याज खा रही है।'Khairagarh Politics: मनराखन का पलटवार- पहले वादा कर 15 साल भूले, अब विकास का विरोध कर रहे भाजपाई
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