खैरागढ़ के सिंचाई विभाग का एक और कारनामा; प्रधानपाठ बैराज में पोल खुलने के बावजूद नहीं चेते अफसर।
प्रधानपाठ बैराज से लगभग 300 मीटर दूर आमनेर नदी पर एक करोड़ की लागत से रपटा बनाया जा रहा है। इसके बेस में ही लाखों के गोलमाल की जुगत लगाई जा रही है। चारों तरफ कांक्रीट की दीवार बनाकर बीच में जंगली पत्थर भरे जा रहे हैं।
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तस्वीर से पूरी कहानी स्पष्ट है। मौके पर रेत, गिट्टी, सीमेंट, छड़ आदि मटेरियल रखा दिखाई दे रहा है। मसाला तैयार करने के लिए मिक्सर मशीन भी है। आमनेर नदी के निर्धारित स्थान को तीन तरफ से छड़ की दीवार लगाकर घेरा गया है, जिसमें कांक्रीट डालने की तैयारी की जा रही है, जबकि तैयार की जा रही कांक्रीट की इस दीवार के बीच में जंगल में पाए जाने वाले छोटे-छोटे पत्थर डाले जा रहे हैं।

यह पत्थर ठीक वैसे ही हैं, जैसे प्रधानपाठ बैराज का फ्लोर उखड़ने के बाद नीचे दिखाई दिए थे। बैराज के फ्लोर मंे लगाई गई छड़ भी कमजोर थी। अफसरों ने भी इसे देखा, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की गई। अब एक करोड़ के रपटा निर्माण में उसी गड़बड़ी को दोहराने की तरकीब नजर आ रही है।
इस बारे में सब इंजीनियर जेके जैन का कहना है कि बेस में स्लम कांक्रीट डालना पड़ता है। उसमें मिक्स बोल्डर, 40 एमएम मटेरियल और स्लम कांक्रीट डाली जाती है। जिस जगह पर बोल्डर डाले जा रहे हैं, वह पाइप पाइंट है।
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इसके नीचे पांच फीट कांक्रीट करना पड़ती है। इसमें एक फीट कांक्रीट, दो फीट स्लम कांक्रीट, फिर एक फीट कांक्रीट डालने के बाद एक फीट आरसीसी रहता है। अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम में कटऑफ फुल हो चुका है। पाइप वाली जगह में स्लम कांक्रीट डाली जाती है।