दो दिन पहले डाइट परिसर में टीम के साथ श्रमदान करे प्राचार्य पंडा।
डाइट में हुई संगोष्ठी: ब्लॉक के शिक्षकों ने पढ़ा और पढ़ाया निर्मल त्रिवेणी का पाठ, प्राचार्य पंडा ने शिक्षकों को हनुमान कहा और निर्मल त्रिवेणी की टीम को दी जामवंत की संज्ञा।
पवन तनय बल पवन समाना, बुधि बिबेक बिग्यान निधाना
‘रीछराज ने कहा- हे हनुमान! आप पवन देव के पुत्र हैं और बल में पवन के समान हैं। आप बुद्धि, विवेक और विज्ञान की खान हैं। जीवन का वह कौन सा कठिन कार्य है, हे तात! जो आपसे न हो सके।’
खैरागढ़. निर्मल त्रिवेणी महाभियान (Nirmal Triveni Mahabhiya) के उद्देश्यों को लेकर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में संगोष्ठी हुई। जिसमें अभियान की टीम के साथ शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे। प्राचार्य एसएन पंडा ने कहा- जामवंत ने हनुमान जी से कहा कि आप पवन देव के पुत्र हैं और बल में पवन के समान हैं। जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाई, तब वे लंका लांघकर गए और लौट कर आए। Khairagarh: परिसीमन पर गंजीपारा वासियों ने दर्ज कराई पहली आपत्ति, बोले- खत्म हो रहा अस्तित्व
हनुमानजी को पता ही नहीं था कि मैं समुद्र को लांघ कर जा भी सकता हूं और आ भी सकता हूं। भाई भागवत ने ध्वज पकड़ा दिया है। जामवंत के रूप में चेतना को जगा दिया है। इसे अनवरत जारी रखने का काम शिक्षकों का है। इससे पहले उन्होंने ध्वज की महिमा बताई। बोले- ध्वज को हाथ में देने और लेने का अर्थ क्या है? समझ में आया कि यह छोटी-मोटी नहीं, बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। Khairagarh: परिसीमन पर गंजीपारा वासियों ने दर्ज कराई पहली आपत्ति, बोले- खत्म हो रहा अस्तित्व
जहां ध्वज की बात आती है, वहां हनुमानजी का स्मरण आता है। महाभारत के समय में कृष्ण सारथी, अर्जुन योद्धा और ध्वज में विराजे थे हनुमान जी। जिनके कारण उनका रथ टस से मस नहीं हुआ। ये ध्वज की महिमा है कि इतने बड़े महाभारत युद्ध में अर्जुन का रथ उन्हीं की वजह से टिका रहा। इससे पहले महाभियान के संयोजक भागवत शरण सिंह ने निर्मल त्रिवेणी महाभियान (Nirmal Triveni Mahabhiya) के उद्देश्यों को सामने रखा। संगोष्ठी से पहले डाइट परिसर में पौधे रोपे गए। Khairagarh: 'नेताजी' अभी भी वक़्त है, सम्भल जाइए!
पहले टीम ने शिक्षकों को बनाया था ध्वज वाहक
प्राचार्य पंडा ने ध्वज की महिमा इसलिए बताई कि कुछ दिनों पहले ही निर्मल त्रिवेणी महाभियान (Nirmal Triveni Mahabhiya) की टीम ने ब्लॉक के 250 शिक्षकों को महाभियान का ध्वज वाहक बनाया था और अभियान के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंपी थी। Khairagarh: 'नेताजी' अभी भी वक़्त है, सम्भल जाइए!
महाभियान में काम करने से मिलती है संतुष्टि
महाभियान के सदस्य लक्ष्मीचंद आहूजा बोले- महाभियान में हिस्सेदारी निभाने के बाद अपने-अपने काम पर निकल जाते हैं। लौटकर घर आते हैं तो जो संतुष्टि मिलती है, वह किसी में नहीं। हम अपना काम तो अपने लिए करते हैं, लेकिन महाभियान से जुडक़र समाज में अपनी भूमिका निभाते हैं।
शिक्षक बेहतर तरीके से कर सकते हैं विचारों का प्रवाह
बीआरसी भगत सिंह ने कहा निर्मल त्रिवेणी महाभियान (Nirmal Triveni Mahabhiya) किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, हम सभी का है। शिक्षक अपने क्षेत्र में बेहतर तरीके से इन विचारों का प्रवाह कर सकते हैं। शिक्षक अनुराधा सिंह और डॉ. मोनिका सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अनुराधा बोलीं- जो हम नहीं कर सकते थे, निर्मल त्रिवेणी की टीम ने कर दिखाया। मोनिका ने जन्म से मृत्यु तक लकड़ी की आवश्यकता का उल्लेख किया और टीम के कार्यों को सराहा। संगोष्ठी में मौजूद अन्य शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे। Khairagarh: 'नेताजी' अभी भी वक़्त है, सम्भल जाइए!