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बड़ा गोलमाल: Deo ने नहीं मानी जिपं उपाध्यक्ष की बात, बिना मांग पत्र मंगाए खरीदे फर्नीचर, विक्रांत ने पूछा कारण Featured

भ्रष्टाचार की भनक: शिकायत मिलने के बाद तीन माह पहले हुई जिला शिक्षा समिति की बैठक में खुद अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा था कि बिना मांग पत्र में न की जाए किसी भी तरह की खरीदी।

राजनांदगांव. जिले के 151 संकुलों के लिए हुई फर्नीचर खरीदी को लेकर अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। बताया गया कि 13 जुलाई 2020 को हुई जिला शिक्षा समिति की बैठक में जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने स्पष्ट कहा था कि बिना मांग पत्र के किसी भी तरह की खरीदी न की जाए। इसके बावजूद डीईओ (जिला शिक्षा कार्यालय) ने बात नहीं मानी। अब फर्नीचरों की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें मिल रही है। खुद विक्रांत ने डीईओ को पत्र लिखकर इसका कारण पूछा है।

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जानकारी के अनुसार फर्नीचर खरीदी के आदेश जारी होने के बाद से ही गोलमाल की सुगबुगाहट थी। इसी के चलते जिला शिक्षा समिति की बैठक में खरीदी को लेकर निर्देश जारी किए गए। कहा गया कि संबंधित स्कूलों, संकुलों व बीईओ कार्यालयों से मांग पत्र मंगाने के बाद ही किसी तरह की खरीदी की जाए। इसके बावजूद किसी तरह का संशोधित आदेश नहीं निकाला गया, बल्कि पुराने आदेश के आधार पर गुणवत्ताहीन फर्नीचर खरीदकर संकुलों को 33 लाख 69 हजार 407 रुपए का बिल थमा दिया गया।

फर्नीचरों की गुणवत्ता परखने से भी परहेज

संकुलों में फर्नीचर पहुंचने के बाद डीईओ ने इसका भौतिक सत्यापन करने के लिए कहा है, लेकिन इसमें केवल टूट फूट की ही जानकारी देने के निर्देश हैं। फर्नीचरों की गुणवत्ता परखने के लिए नहीं कहा गया है। इसलिए संकुल समन्वयक केवल फर्नीचरों की संख्या लिखकर दे रहे हैं।

ज्यादा जरूरत थी कंप्यूटर और प्रिंटर की

नया ढाबा संकुल के समन्यवयक टी सुरेश जैन का कहना है कि इससे पहले भी जो भी चीज आई, कभी नहीं पूछा जाता। टैबलेट, फर्नीचर, आलमारियां आदि भेजी गईं, लेकिन हमसे नहीं पूछा गया। फर्नीचर आया है तो आदमी जरूरत निकाल ही लेता है, पर ज्यादा जरूरत हमें कंप्यूटर, प्रिंटर और नेट कनेक्शन की थी, वह भी इन्हें भेजना चाहिए।

सालभर में भेजते हैं जाने कितने मांग पत्र

संकुल समन्वयकों से मिली जानकारी के अनुसार सालभर में वे मध्याह्न भोजन, फर्नीचर और टाट पट्‌टी से संबंधित मांग पत्र समय-समय पर भेजते हैं। विभिन्न मदों में राशि आने पर इसकी पूर्ति भी की जाती है, लेकिन फर्नीचर ग्रांट को खर्चने से पहले एक बार भी मांग पत्र देने नहीं कहा गया।

जानिए ऐसा है फर्नीचर खरीदी में गोलमाल का पूरा मामला

जिले में हरेक संकुल के खाते में फर्नीचर ग्रांट के तहत 80 हजार रुपए स्वीकृत किए गए, लेकिन खरीदी के लिए डीईओ को अधिकृत किया गया। डीईओ ने संकुलों से उनकी जरूरतें नहीं पूछी और थोक में फर्नीचर की खरीदी कर 33 लाख 69 हजार 407 रुपए का बिल थमा दिया। अब जहां कंप्यूटर नहीं है, वहां के लिए कंप्यूटर टेबल भेजा गया है। अतिरिक्त कुर्सी-टेबल भेज दिए गए हैं, जिन्हें रखने के लिए जगह तलाशनी पड़ रही है।

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Last modified on Friday, 30 October 2020 04:13

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