ख़ैरागढ़. श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर और मां नर्मदा मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल करने की मांग पर केंद्र की पहल से उम्मीद की किरण जगी है।
पूर्व संसदीय सचिव विधायक कोमल जंघेल ने दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों को धार्मिक पर्यटन के लिहाज़ से महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्रीय पर्यटन मंत्री पर प्रह्लाद पटेल को पत्र लिखा था।
जिसमें पूर्व विधायक जंघेल ने मंत्री पटेल को बताया था कि दोनों स्थल पुरातत्विक महत्व के साथ ही ऐतिहासिक महत्व वाली हैं। जिनसे क्षेत्र के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यदि इन दोनों स्थलों को धार्मिक पर्यटन के महत्व से चिन्हित किया जाता है, तो आने वाले दिनों में न केवल ये आत्मनिर्भरता के लिहाज से बड़ा कदम होगा बल्कि इससे आने वाले दिनों में लोगों के लिए रोज़गार के द्वार खुलेंगे।
मंत्री ने मंत्रालय को दिए कार्यवाही के निर्देश पत्र के जवाब में केंद्रीय मंत्री पटेल ने पूर्व विधायक जंघेल को अवगत कराया है कि आपके पत्र को पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय को कार्यवाही के लिए भेज दिया गया है। एक दूसरे से जुड़े हैं दोनों मंदिरों के तार ऐतिहासिक तथ्यों पर नज़र डालें तो महान तपस्वी संत रुक्खड़ बाबा का ख़ैरागढ़ आगमन राजा टिकैतराय के शासनकाल में हुआ था।
इस लिहाज से आज से लगभग 300 साल पूर्व बाबा ख़ैरागढ़ आए। कथानकों की माने तो बाबा माँ नर्मदा के अनन्य भक्त थे। अमरकंटक से जब बाबा चले तो माँ नर्मदा ने उन्हें मन चाहा वर मांगने की इच्छा जाहिर की। जिस पर बाबा ने उन्हें साथ चलने का निवेदन किया। मार्ग में चलते पीछे चल रही नर्मदा मैया को दिशा भ्रम हुआ।
उन्होंने ख़ैरागढ़ का पता एक चरवाहे से पूछा। चरवाहे ने चकनार के पास ख़ैरा गांव को ही ख़ैरागढ़ होना बताया। तो मां वहीं अवतरित हुईं। बाबा के भक्त मानते हैं कि अपने जीवन काल तक बाबा उक्त सिद्धपीठ से कुंड तक प्रतिदिन स्नान आदि के लिए पैदल ही जाते थे ।