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दोनों झोलाछाप डॉक्टर फरार, क्लिनिक का ताला तोड़ने की तैयारी, दवाओं के सैंपल जांचेंगे ड्रग इंस्पेक्टर

खैरागढ़ पुलिस ने माना गलत इलाज से हुई युवक की मौत और शेड्यूल एच-1 दवाओं को लेकर डॉक्टर ने दिया ओपिनियन, कहा- बैटिरियल इन्फैक्शन से बचाने इस्तेमाल की जाती है दवा।

झोलाछाप डॉक्टरों पर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। पुलिस यह मान रही है कि डॉक्टर देवीलाल भवानी के गलत इलाज से राजफेमली के युवक आदर्श पिता कृष्णजय सिंह की मौत हो गई। इस पूरे इलाज में अरुण भारद्वाज ने भवानी का सहयोग किया। युवक की मौत के दूसरे दिन से ही दोनों डॉक्टर फरार हैं।

अब पुलिस अरुण भारद्वाज के मकान में स्थित उस अवैध क्लिनिक का ताला तोड़ने की तैयारी कर रही है, जिसमें पाइल्स का ऑपरेशन किया गया था। इससे पहले मंगलवार को एएसआई एआर साहू ने हॉस्पिटल जाकर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीएस परिहार से मुलाकात की और उन्हें मृतक के घर से मिले दवाओं के सैंपल दिखाए।

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डॉ. परिहार ने बताया कि दवाओं में शेड्यूल एच और शेड्यूल एच-1 की दवाएं हैं, जो बैक्टिरियल इन्फैक्शन से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कोई भी दवा विक्रेता रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्शन बिना शेड्यूल एच-1 की दवाएं नहीं दे सकता।

यहां आशंका जताई जा रही है कि ऑपरेशन के बाद बैक्टिरियल इन्फैक्शन के डर से झोलाछाप डॉक्टरों ने इन दवाओं का इस्तेमाल किया होगा। डॉ. परिहार ने बताया कि एएसआई ने एफआईआर की सूचना के साथ क्लिनिक का ताला तोड़े जाने की भी जानकारी दी है।

क्लिनिक में दवा मिली तो जुड़ेंगी फार्मा की धाराएं भी

डॉ. परिहार ने कहा कि भवानी की क्लिनिक का ताला तोड़ते समय ड्रग इंस्पेक्टर की मौजूदगी जरूरी है। वे इस बारे में एसडीएम को लिखेंगे। इस दौरान क्लिनिक में दवाइयां मिलीं तो फार्मासिटिकल्स एक्ट की धाराओं के तहत भी कार्रवाई हो सकती है।

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क्लिनिक सील करते समय नजर आई थी यह स्थिति

युवक की मौत के दूसरे दिन जब प्रशासन की टीम भवानी की क्लिनिक सील करने पहुंची तो खिड़की की दरार से कमरे के भीतर ऑपरेशन बेड, औजार रखने का बर्तन और ऊपर दवाइयां दिखाई दी थीं। कमरे को दो भागों में बांटा गया था, इसमें से एक में पेशेंट के लिए बैठक व्यवस्था रखी गई थी।

क्लिनिक में महिलाओं का भी करते थे इलाज

आसपास के लोगों ने बताया कि भवानी की इस अवैध क्लिनिक में औसतन 10 से 12 मरीज रोज आया करते थे। इसमें महिलाएं भी शामिल थीं। इससे पहले भीमपुरी और अकरजन के मामले में भी रिपोर्ट हुई थी। कई ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने केस बिगड़ने के बाद बाहर इलाज करवाया, तब जाकर बचे।

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