चीन से फैले कोरोना वायरस ने अपना कहर हर देश में फैला दिया है। भारत में भी इस वायरस का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। भारत में अब तक 29 केस सामने आए हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत में सभी मरीज विदेश से आए हैं यानी भारत के अंदर अब तक किसी नागरिक में इस संक्रमण नहीं पाया गया है। इस खतरनाक कोरोना वायरस का भारत में डट कर मुकाबला किया जा रहा है।
लेकिन यह वायरस Swine Flu जितना खतरनाक नहीं। स्वाइन फ्लू, जिसके कारण भारत में हजारों लोगों की जान चली गई थी। यही नहीं, 2009 में Swine Flu का पहला केस सामने आया था, जिसके बाद से अब तक इस पर पूरी तरह काबू पाया जा चुका है। जबकि कोरोना से मुस्तैदी से निपटा जा रहा है।
भारत में कोरोना वायरस
भारत में कोरोना वायरस का पहला केस 30 जनवरी 2020 को सामने आया था जब वुहान यूनिवर्सिटी से केरल लौटे छात्र में यह संक्रमण पाया गया था। इसके अगले दो दिनों में दो और केस सामने आए जो वुहान यूनिवर्सिटी से लौटे छात्रों के ही रहे। अब 4 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताता कि भारत में अब तक कोरोना वायरस के 28 मरीज सामने आए हैं, जिनमें से पहले तीन केस यानी वुहान यूनिवर्सिटी से लौटे तीनों छात्रों को पूरी तरह स्वस्थ्य कर दिया गया है।
2009 में अमेरिका से आया स्वाइन फ्लू
अमेरिकी से यह वायरस 2009 में भारत आया था। इसका पहला मामला 13 मई 2009 को सामने आया था, जब अमेरिका से हैदराबाद लौटे एक भारतीय में H1N1 की पुष्टि हुई थी। धीरे-धीरे केस बढ़ते गए और 24 मई 2020 तक हालात बेकाबू हो गए थे। तब तक 10,193 पॉजिटिव के सामने आ गए थे और 1035 लोगों की मौत हो चुकी थी।
इसका सबसे ज्यादा असर 2015 के पहले डेढ़ महीने में देखने को मिला था, तब देशभर में कुल 33,000 मामले सामने आए थे और 2000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
ऐसे निपट रहा भारत कोरोना से
कोरोना को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने क्लस्टर अप्रोच अपनाया है। यानी कहीं किसी व्यक्ति के कोरोना वायरस से ग्रस्त पाए जाने के बाद उसके चारों ओर तीन किमी के दायरे में लोगों को सचेत किया जाएगा, उनकी जांच की जाएगी और आगे भी निगरानी रखी जाएगी। इसके तहत देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के आधार पर इसके हॉट-स्पॉट की पहचान कर वहीं उसे फैलने से रोकने के लिए संसाधनों का प्रबंध किया जाएगा।
दुनिया के कई देशों में कोरोना के फैलने के बाद केवल 12 देशों से आने वाले यात्रियों की अनिवार्य स्क्रीनिंग बेमानी साबित हो रही है। इटली और यूएई से आने वाले जो लोग कोरोना से ग्रसित पाए गए हैं, वे 21-22 फरवरी को ही भारत आ गए थे, उस समय इन दोनों देशों को अनिवार्य स्क्रीनिंग में नहीं रखा गया था। इसे देखते हुए सरकार ने अब विदेश से आने वाले हर व्यक्ति के लिए स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी है।