Air India के विनिवेश को लेकर सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को बताया कि प्रवासी भारतीय, एयर इंडिया का 100 फीसदी हिस्सेदारी कर सकते हैं। पहले एनआरआई के लिए यह सीमा 49 फीसदी थी। 2018 में एयर इंडिया को बेचने की पहली कोशिश विफल रहने के बाद केंद्र सरकार ने इस बार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है।
वर्ष 2018 में एयरलाइन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला सरकार ने किया था। इसके लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख 17 मार्च है। इसमें रुचि रखने वाले बोलीदाताओं का नेटवर्थ कम से कम 3,500 करोड़ रुपए होना चाहिए। बोली जमा होने के बाद आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
करीब 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज एयर इंडिया पर है। एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2018-19 में 8,556 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। सात जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने कंपनी के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है।
टाटा घराने के पास जा सकती वापस
1932 में जेआरडी टाटा ने ही एयर इंडिया की नींव रखी थी और 1946 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। शुरुआत में इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था, लेकिन राष्ट्रीयकरण के बाद 1948 में यह एयर इंडिया हो गई। अब यह कंपनी वापस टाटा घराने के पास जा सकती है। संकट से जूझ रही एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 17 मार्च है।