Khairagarh University के Registrar कह रहे अधिनियम की धारा (f), धारा 8 (l) e, j एवं धारा 11 (l) के अधीन है Assistant Registrar की नियुक्ति संबंधी दस्तावेज, दिया जाना संभव नहीं, विधिक जानकार कह रहे लोक दस्तावेज श्रेणी में आते हैं ये कागजात।
खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के सहायक सचिव विजय सिंह की नियुक्ति संबंधी दस्तावेज सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत न देना कुलसचिव (Registrar) को महंगा पड़ सकता है। शहर कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता समीर कुरैशी ने मामले से संबंधित दस्तावेज DGP व SP को भेज दिए हैं। हालांकि इस मामले को हस्तक्षेप योग्य न मानते हुए खैरागढ़ पुलिस ने समीर को न्यायालय जाने कहा था, लेकिन विधिक सलाह पर उन्होंने इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाना उचित समझा।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी तरह के एक मामले में दो साल पहले (फरवरी 2018) राजस्थान नागौर में आरटीआई कार्यकर्ता की अपील पर आयोग के आयुक्त ने मूंडवा बीडीओ के खिलाफ एफआईआर (FIR) के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरटीआई कार्यकर्ता आईदान फिड़ौदा ने मूंडवा के लोक सूचना अधिकारी एवं विकास अधिकारी को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जारी नोटिस सहित 9 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी।
हालांकि आयुक्त ने सुनवाई के बाद चाहे गए अभिलेख उपलब्ध न होने पर कारणों की जांच करने तथा उत्तरदायित्व निर्धारित करने कहा था। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
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संभवत: यह छत्तीसगढ़ का पहला मामला है, जिसमें आवेदक जनसूचना अधिकारी के खिलाफ सीधे थाने पहुंचा हो! समीर ने बताया कि उसने प्रथम अपील की है, जिसकी सुनवाई गुरुवार (24 सितंबर) को होनी है। इससे पहले सोमवार को उसने DGP व SP को अपना आवेदन व विश्वविद्यालय के जनसूचना अधिकारी के जवाब की छायाप्रति भेज दी।
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समीर ने सूचना के अधिकार तहत सहायक सचिव (Assistant Registrar) विजय सिंह की नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे थे। उसे जनसूचना अधिकारी व रजिस्ट्रार पीएस ध्रुव ने यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि यह अधिनियम की धारा 2 (f), धारा 8 (l) e, j एवं धारा 11 (l) के अधीन होने के कारण दिया जाना संभव नहीं है।
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जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता एडी वर्मा का कहना है कि जनसूचना अधिकारी ने अधिनियम की जिस धारा का उल्लेख करते हुए सहायक सचिव की नियुक्ति संबंधी दस्तावेज देने से इनकार किया है, वह सरासर गलत है। नियुक्ति संबंधी कागजात, लोक दस्तावेज की श्रेणी में आते हैं। इसका नकल दिया जा सकता है। इस मामले में कुलसचिव पीएस ध्रुव का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, उन्हें वाट्सएप के जरिए भी सवाल भेजे गए, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
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आरटीआई के स्टेट रिसोर्स पर्सन योगेश अग्रवाल का कहना है कि मैं आवेदन की समीक्षा नहीं कर रहा हूं, लेकिन इस मामले में जनसूचना अधिकारी ने अपने जवाब में जिन धाराओं का उल्लेख किया है, उनका उपयोग सामान्यत: तब किया जाता है, जब वह सूचना मांगे जाते समय तात्कालिक रूप से उपलब्ध न हो।