रहमानकापा के पास मथानीखार वनभूमि में नियम विरुद्ध स्थाई प्रधानमंत्री आवास बनाया जा रहा है। जबकि वन भूमि पर स्थाई निवास नहीं बन सकता। इस भूमि में तीन प्रधानमंत्री आवास सहित करीब 14 घर बना है और एक बनाया जा रहा है। ग्रामीणों की मानें तो प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति दूसरी जगह पर हुई थी। लेकिन उसे वन भूमि पर बनाया गया है।
वन भूमि में प्रधानमंत्री आवास के लिए राशि जारी करना भी बड़ी लापरवाही है। इसमें जनपद पंचायत की भूमिका भी संदिग्ध है। वन विकास निगम द्वारा वन भूमि पर आवास बनाने की जानकारी भी दी गई थी। लेकिन विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं करने के कारण लगातार वनों में अतिक्रमण बढ़ रहा है। वहीं जनपद पंचायत भवन बनाने के लिए राशि जारी कर वनों की कटाई व अतिक्रमण को बढ़ावा दे रही है। आवास के अलावा बंदौरा मार्ग पर ही सैकड़ों एकड़ वन भूमि पर खेती भी की जा रही है।
3 आवास का निर्माण हो चुकाचुका, 1 निर्माणाधीन, खेती भी हो रही
पंडरिया.मथानीखार वनभूमि पर कब्जा कर खेती कर रहे। अवैध कब्जे वाली जगह में पीएम आवास स्वीकृत कर निर्माण। वनों को विनाश से बचाने के लिए कार्रवाई जरूरी
वर्तमान में वनभूमि पर अरहर, कोदो व धान की खेती की जा रही है। वन विकास निगम की कार्रवाई तो करना चाहता है किंतु कर्मचारियों की कमी, पुलिस प्रशासन व राजस्व विभाग से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है और वन क्षेत्र में अपराध लगातार बढ़ रहा है। सभी विभागों को संयुक्त रुप से अतिक्रमण कारियों के विरुद्ध कार्रवाई जरूरी है, जिससे वनों को विनाश से बचाया जा सके। लेकिन इस ओर अफसर ध्यान नहीं रहे हैं। 27 लाख की स्वीकृति के बाद भी प्लांटेशन नहीं
जून 2016 में वन विभाग सामान्य द्वारा करीब 134 हेक्टेयर वन भूमि वन विकास निगम को बिना प्लांटेशन के सौंपा गया था। इसमें मथानी खार के पास बने झोपड़ियों को पूर्व में खाली कराया गया था और प्लांटेशन नहीं किया गया है। अतिक्रमित भूमि 57 हेक्टेयर पर शासन द्वारा पौधारोपण के लिए 27 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी। किंतु इस वर्ष पौधारोपण नहीं किया गया। इसकी वजह से हरियाली को सहेजने का भी काम पूरी तरह से नहीं हो रहा है।