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बड़ी कार्रवाई: खैरागढ़ में बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में छापा Featured

जांच टीम के सामने खड़ा है हॉस्पिटल का संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू। जांच टीम के सामने खड़ा है हॉस्पिटल का संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू।

डीएचएमएस डॉक्टर लिख रहा था एलापैथी की दवाएं, हॉस्पिटल की दुकान में मिली शेड्यूल एच व एच-1 दवाओं की भरमार।

खैरागढ़ स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए किल्लापारा स्थित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में छापेमार कार्रवाई हुई। मौके पर पहुंची टीम को पड़ताल के दौरान न रजिस्ट्रेशन नंबर मिला और न ही सुविधाएं दिखीं। हॉस्पिटल स्टॉफ के पास भी आवश्यक डिग्रियां नहीं मिली।

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गुरुवार दोपहर तकरीबन सवा 3 बजे पहुंची टीम ने हॉस्पिटल का कोना-कोना खंगाला। माैके पर मरीज तो नहीं मिले, लेकिन संचालक से सवाल-जवाब में सारी खामियां उभर कर सामने आ गईं। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीएस परिहार के पूछने पर हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू ने स्वीकार किया कि उन्होंने ही सीएएफ जवान का इलाज किया था और पर्ची में लिखी दवाइयां भी उन्हीं की लिखी हुई है। रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछने पर उन्होंने टेम्प्रेरी रजिस्ट्रेशन के कागजात दिखाए, जिसकी अवधि 2018 तक थी। इससे स्पष्ट हो गया कि तीन सालों से यह अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहा था। छापा मारने वाली टीम में नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर और ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका ध्रुव भी शामिल रहीं।

ओपीडी का रजिस्टर मेटेन नहीं कर रहे डॉक्टर

डॉ. परिहार ने मरीजाें का इलाज करने वाले डॉक्टरों के रजिस्टर का हिसाब पूछा तो संचालक की जुबान लड़खड़ाने लगी। उसने बताया कि सिर्फ रिसेप्शन में ही रजिस्टर मेंटेन किया जाता है। इस पर डॉ. परिहार ने जमकर फटकार लगाई और नर्सिंग होम एक्ट का हवाला देकर बताया कि यह नियम विरुद्ध है।

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रसीद दिखाई, रकम का जवाब नहीं दे पाए

मौके पर बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने ओपीडी रजिस्टर और रसीद चेक किए। रसीद में एक ही तारीख पर 12 लोगों से छ:-छ: हजार रुपए लिए जाने का प्रमाण मिला, लेकिन पूछने पर वे नहीं बता पाए कि 6000 रुपए किस बीमारी के इलाज के एवज में लिए गए हैं।

बिना रसीद ली जा रही रकम, कोई हिसाब नहीं

पूछताछ के दौरान खुद डॉ. साहू ने कबूला कि वे मांगने पर ही मरीजों को रसीद देते हैं। इस पर डॉ. परिहार ने कहा कि यह तो टैक्स की चोरी है और ऐसे में हिसाब कैसे रख पाओगे। उन्होंने सीएएफ जवान की शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों को इलाज के खर्च की प्रतिपूर्ति मिलती है। अगर अस्पताल उन्हें रसीद नहीं देगा तो वे लाभ कैसे उठाएंगे।

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