शनिवार को पूछताछ के दौरान मेडिकल अफसरों के सवालों का जवाब देते डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती।
रायगढ़ से खैरागढ़ पहुंचे एमबीबीएस डॉक्टर ने नायब तहसीलदार के सामने दिया बयान, बोले- हॉस्पिटल के संचालक ही हैं जिम्मेदार।
खैरागढ़. बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे अस्पताल को सील करने के तीसरे दिन मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती के दिए बयान में एक और खुलासा हुआ। उन्होंने विजिटिंग डॉक्टर के तौर पर हॉस्पिटल आने वाले दो विशेषज्ञों के नाम बताए। इसमें से एक रायपुर के डॉ. वैभव सिंह हैं और दूसरे दुर्ग के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. कृष्णा डहरिया।
आपको बता दें कि किल्लापारा स्थित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसमें महिलाओं से संबंधित भी हैं। अस्पताल में कई बार महिलाओं की नसबंदी की गई। इसी माह की 8 तारीख को भी नसबंदी शिविर आयोजित किया गया था। इसमें 10 से 12 ऑपरेशन किए गए। हरेक मरीज से 6000 रुपए लिए गए।
माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर की तस्वीर, जो 8 जनवरी की शाम को ली गई थी।
गुरुवार को जांच करने हॉस्पिटल पहुंची टीम ने रसीद बुक जब्त किया है, जिसमें 6000 रुपए के 12 रसीद काटे गए हैं। इसके अलावा नसबंदी संबंधी दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिसमें महिला मरीजों के नाम हैं। हालांकि किसी भी फाइल में संबंधित डॉक्टर का नाम नहीं लिखा है।
डायरेक्टर ने संचालक पर मढ़ा सारा दोष
शनिवार दोपहर को नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर के सामने अपने लिखित बयान में हॉस्पिटल के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉ. आशुतोष भारती ने स्वीकार किया कि उनका अस्पताल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू के साथ इकरारनामा हुआ था। इसके तहत उन्हें प्रॉफिट में से 5 प्रतिशत हिस्सा मिलना तय था। इसी के तहत उन्होंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री उन्हें दी थी।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अक्टूबर 2020 में हुए इकरारनामे के बाद वे केवल चार या पांच बार ही खैरागढ़ आए। उन्हें अस्पताल में संचालित तमाम गतिविधियों के बारे में कुछ भी नहीं मालूम। डॉ. आशुतोष ने सभी अनियमितताओं के लिए संचालक डॉ. साहू को जिम्मेदार ठहराया है।
हॉस्पिटल में आवक-जावक का नहीं मिल रहा हिसाब
इधर हॉस्पिटल में पैसों के लिनदेन का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है। नसबंदी फार्म के ऊपर सफेद पर्ची पर राशि लिखकर चस्पा की गई है। अफसरों का अनुमान है कि यही इलाज का कच्चा चिट्ठा है। डायरेक्टर डॉ. आशुतोष का कहना है कि उन्हें अब तक पांच बार विजिट के लिए मात्र 2000 रुपए दिए गए हैं। संचालक ने सभी विजिटर्स को नगद भुगतान ही किया है।
न ऑपरेशन किया, न नसबंदी की: डॉ. डहरिया
इसं संबंध में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. कृष्णा डहरिया का कहना है कि मैं केवल एक बार खैरागढ़ गया हूं। हॉस्पिटल के संचालक डॉ. साहू से मिला हूं। चूंकि गायनेकोलॉजिस्ट हूं तो वहां एक गर्भवती का इलाज मैंने किया है, लेकिन किसी तरह का ऑपरेशन नहीं किया। नसबंदी भी नहीं की।
जब डॉ. वैभव से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे पहले संचालक से बात करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे। उन्होंने आश्वस्त किया है कि डॉ. साहू से बात करने के बाद वे अपनी प्रतिक्रिया देंगे।