बायपास रोड पर जमीन की खरीदी-बिक्री में जिम्मेदारों ने सरकारी नियमों से तो खिलवाड़ किया ही, कुदरत के कानून से भी छेड़छाड़ करने से नहीं चूके। राजस्व नक्शे की मानें तो पांडादाह रोड में सूरज पूर्व दिशा से नहीं निकलता, बल्कि दक्षिण से निकलकर उत्तर में डूबता है। पूरी खबर पढ़ने के बाद आप भी चौक जाएंगे।
खैरागढ़ में अमलीडीहखुर्द के भू-नक्शे से दान की 5 डिसमिल जमीन गायब होते ही चौहद्दी में हुआ खेल नजर आने लगा। दस्तावेज खंगालने से पता चला कि पटवारी ने पूरे नक्शे की दिशा ही बदल दी है। इसे प्रमाणित करने के लिए मौके पर दिशा सूचक यंत्र का प्रयोग किया गया, जिससे चौहद्दी में हुए बड़े खेल का खुलासा हुआ। इस खुलासे के बाद मूल खसरा नंबर 105 के बटांकन पर पैनी नजर दौड़ाई गई।
सोनेसरार-सरस्वती शिशु मंदिर से एसएच-5 तक बन रहे बायपास रोड में सुविमल श्रीवास्तव की पांच डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई, इसलिए उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला, लेकिन चौहद्दी में गफलत कर 105/4 खसरा नंबर वाला टुकड़ा ही गायब कर दिया गया। कुछ इसी तरह का छेड़छाड़ चुम्मन पटेल की जमीन से संबंधित दस्तावेजों में दिखाई दे रहा है।

जुलाई 2018 में शासन के भू-अर्जन बाद बने बिक्री पत्र और पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के जांच परचा सह घोषणा पत्र में दी गई चौहद्दी और दिसंबर 2013 में कुशालचंद पिता हमीरमल की किश्तबंदी खतौनी (बी-1) की चतुरसीमा में की गई कांटछांट ने संदेहों को जन्म दिया। इसके बाद मौके पर दिशा सूचक के प्रयोग ने चौहद्दी के गणित की पोल खोल दी। दिशा सूचक बता रहा है कि पांडादाह रोड उत्तर में है, जबकि नक्शा इसे पश्चिम में बताता है और खुद पटवारी भी।
बी-1 में कांटछांट, किश्तबंदी में पड़त भूमि का कहीं भी जिक्र नहीं
0 कुशालचंद की किश्तबंदी खतौनी बी-1 में खसरा नंबर की जगह 105/2 का टुकड़ा लिखा है और जमीन में बोई गई फसल धान बताई गई है। इसमें कहीं भी पड़त भूमि के टुकड़े का जिक्र नहीं है।
0 बी-1 में दर्शायी गई चौहद्दी में तीन जगह कांटछांट किया गया है। कांटछांट के बाद इसमें उत्तर में रोड दर्शाया गया है, जो सही है। वहीं दक्षिण में पारस (बसंती जैन) की जमीन दर्शाया जाना भी गलत नहीं, लेकिन पश्चिम में रोड काटकर विक्रेता की भूमि लिखा जाना संदेहास्पद है।
0 चौहद्दी में उत्तर व दक्षिण दिशा में सुधार करते समय तो हस्ताक्षर किया गया है, लेकिन पश्चिम दिशा में रोड को काटकर विक्रेता की भूमि लिखते समय जिम्मेदार के दस्तखत नहीं है।
0 इसी के आधार पर नामांतरण की सहमति वाले पत्र में उत्तर में खैरागढ़ पांडादाह मार्ग, दक्षिण में पारस और पूर्व-पश्चिम में बचत भूमि लिखा गया है।
0 पश्चिम दिशा में रोड से लगे तीन डिसमिल टुकड़े को लेकर भी विवाद छिड़ा। लोगों का कहना है कि यह शुरू से सरकारी जमीन थी। यह कभी भी डोली का हिस्सा नहीं रही।
0 वर्तमान में इस टुकड़े की रजिस्ट्री संजयगिरी गोस्वामी के नाम से है, जिसका खसरा नंबर 105/13 है और रकबा 3 डिसमिल। इसे ही लेकर खसरा नंबर 105/6 के मालिक चुम्मन पटेल ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

जानिए 2013 और 2018 के दस्तावेजों में ऐसा है अंतर
2018 बिक्री पत्र में चौहद्दी | 2013 के बी-1 की चौहद्दी |
उत्तर में शकीला बानो | उत्तर में खैरागढ़ पांडादाह मार्ग |
दक्षिण में कुशालचंद | दक्षिण में पारस (वर्तमान अनिल) |
पूर्व में अनिल जैन | पूर्व में बचत (कुशालचंद) |
पश्चिम में पांडादाह रोड | पश्चिम में बचत (रोड काटकर) |
नोट: पांच साल पहले हुई खरीदी-बिक्री के दौरान निकाली गई कुशालचंद की किश्तबंदी खतौनी में खसरा नंबर 105/2 का टुकड़ा अंकित है। इसकी चतुरसीमा में कांटछांट की गई है। |
पटवारी सीएल जांगड़े ने स्वीकारा नक्शे की दिशा अलग
सवाल: चुम्मन पटेल की अर्जित जमीन पर दिशा सूचक रखने से पांडादाह रोड आज भी उत्तर दिशा में है, फिर चौहद्दी में इसे पश्चिम दिशा में क्यों दर्शाया जा रहा?
जवाब: नक्शे की दिशा अलग है। यह आपको हर खसरे में ऐसी ही मिलेगी।
सवाल: 2013 के समय खसरा नंबर 105 के किश्तबंदी खतौनी बी-1 में तो उत्तर दिशा में रोड ही लिखा गया है, फिर पश्चिम की रोड को काटकर विक्रेता की भूमि क्यों की गई?
जवाब: उसमें गलत लिखा गया है। नक्शे में पांडादाह रोड पश्चिम में ही है।
सवाल: साल 2013 के समय खसरा नंबर 105 के बी-1 में पड़त भूमि का कहीं भी जिक्र नहीं, फिर वहां विक्रेता की जमीन कैसे निकल आई?
जवाब: हो सकता है पांच साल किसी ने उस जमीन पर खेती ही न की हो!
सवाल: क्या कोई खेतीहर किसान अपनी उपजाऊ जमीन को यूं ही छोड़ देगा?
इस सवाल का जवाब जांगड़े नहीं दे पाए, खामोश रहे।
मौके पर आरआई को बुलाकर दिखा लेंगे
तहसीलदार प्रितम कुमार साहू का कहना है कि दिशा कैसे अलग हो सकती है। दिशा सूचक में अगर पांडादाह रोड उत्तर में दिखा रहा है तो नक्शे में भी वैसा ही होगा। आरआई को मौके पर भेजकर दिखवाता हूं। इस बारे में सोमवार को आपसे और चर्चा होगी।
इस संबंध में कुशालचंद जैन के बेटे नरेंद्र से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन व्यस्तता की वजह से वह अपना पक्ष नहीं रख पाए।
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