राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान खैरागढ़ निवासी कोरोना संक्रमित की हुई मौत पर उठाए सवाल।
खैरागढ़. कोविड-19 अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई वेंकट रंगारी की मौत को लेकर खैरागढ़ के भाजपाइयों ने न्यायिक जांच की मांग की है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह के नेतृत्व में मंडल भाजपा ने ज्ञापन सौंपकर इलाज के दौरान बरती गई लापरवाही की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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भाजपाइयों का कहना है कि अंबेडकर वार्ड निवासी वेंकट रंगारी कोरोना संक्रमित थे। सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें 11 नवंबर की रात 8 बजे मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव रेफर किया गया था। आईसीयू में भर्ती होने के बाद 13 नवंबर की सुबह तक उन्हें ऑक्सीजन मिलती रही, लेकिन इसके बाद उन्हें ऑक्सीजन नहीं दी गई।
ऑक्सीजन नहीं मिलने से उन्हें पुन: सांस लेने में तकलीफ होने लगी। इस बात की शिकायत के बाद भी स्टाफ हरकत में नहीं आया। दूसरे दिन 14 नवंबर को पांच बार शिकायत की गई। फिर भी कोई असर नहीं पड़ा। तीसरे दिन 15 नवंबर शाम तकरीबन 6 बजे एक स्टाॅफ नर्स वार्ड ब्वाय के साथ आईसीयू में ऑक्सीजन सिलेंडर चेंज करने आई।
जैसे ही वार्ड ब्वाय ने पाइप खोली वेंकट की सांस फूलने लगी और उनकी मौत हो गई। जिला पंचायत सदस्य घम्मन साहू, मंडल अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, अय्यूब सोलंकी, महेश गिरी, गिरवर पटेल सहित भाजपाइयों का कहना है कि इलाज में घोर लापरवाही बरती गई। इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए।
बेटी बोली- सिलेंडर लगने के बाद 10 मिनट तक तड़पते रहे पिता
एक दिन पहले मृतक की बेटी ने कलेक्टर से मिलकर पूरी घटना बताई। कहा कि नर्स और वार्ड ब्वाय छोटा सिलेंडर लेकर पहुंचे थे। नर्स ने वार्ड ब्वाय को सिलेंडर चेंज करने कहा तो उसने मना कर दिया। बोला- वह नहीं जानता। इसके बाद नर्स के दबाव में आकर सिलेंडर चेंज किया। इस प्रक्रिया के बाद पाइप लाइन से बदबू आने लगी।
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पिता के शिकायत करने पर नर्स पाइप लाइन खोलकर कुछ कर रही थी, और बार बार कह रही थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इस बीच उसके पिता 10 मिनट तक तड़पते रहे और आखिरकार दम तोड़ दिया। बेटी का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ही उसके पिता की मौत का जिम्मेदार है। 13, 14 और 15 नवंबर को दीपावली के चलते डॉक्टर नदारद थे, जबकि रजिस्टर में अटेंडेंस लगा है।