खैरागढ़. न कोई चंदा और न दान। बस चंद दोस्त और उनका आपस का संकलन। भगवान श्री गणेश के प्रति आस्था ऐसी की साल भर अपनी आय में से कुछ हिस्सा भगवान की मूर्ति स्थापना के लिए कुछ राशि बचाकर रखते हैं। इस साल 26 सदस्यों ने प्रति सदस्य 3500 के हिसाब से कुल 91000 रुपये इकट्ठे किए। फतेह मैदान के अधूरे पड़े गेट के नीचे पंडाल में विराजते हैं खैरागढ़ में राजा। युवाओं की इस टीम ने पंडाल में विराजे भगवान श्री गणेश को यही नाम दिया है। हर साल इनकी मूर्ति भी एक सी रहती है। इसमें कोई बदलाव नहीं होता। किसी राजा की भांति ही भगवान श्री गणेश के मुद्रा में ही विराज मान रहते हैं। साल 2011 से अंबेडकर प्रतिमा के ठीक बाजू में खैरागढ़ के राजा विराजमान होते हैं। पूरे 11 दिनों तक पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना होती है। और ग्यारहवें दिन विदाई होती है।
ग्यारह दिनों तक काम रहता है बंद
समिति के सभी सदस्य युवा हैं और अपनी दिशा के भिन्न व्यवसायिक कार्यों में रत रहते हैं। पर गणेश स्थापना के ग्यारह दिनों तक अपने सभी कामों से विरत रहकर भगवान की पूजा अर्चना में रत रहते हैं। समिति के सुमीत जैन ने बताया कि हम 2011 से भगवान की स्थापना कर रहे हैं। वहीं आयश सिंह ने बताया कि पहले साल 90 सदस्य थे।फिर सदस्य कम हुए और हमने तय किया अब बिना चंदा लिए स्थापना करेंगें।