खैरागढ़ का ऐतिहासिक फतेह मैदान, जो कभी स्थानीय खेल गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था, आज अपनी बदहाल स्थिति के कारण खिलाड़ियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। यह मैदान न सिर्फ स्कूल-कॉलेज के छात्रों बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के अभ्यास स्थल के रूप में वर्षों से पहचान रखता है, लेकिन वर्तमान में यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
फतेह मैदान में खिलाड़ियों के लिए न तो समुचित शौचालय की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है। गर्मी के मौसम में जब तापमान 40 डिग्री के पार चला जाता है, तो प्यास बुझाने के लिए खिलाड़ियों को पास की दुकानों या घरों पर जाना पड़ता है। शौचालय की अनुपलब्धता विशेषकर महिला खिलाड़ियों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है। खिलाड़ी प्रिया वर्मा ने बताया कि हम रोज़ सुबह अभ्यास के लिए आते हैं, लेकिन यहां शौचालय गंदगी से भरा हुआ है जिससे शौचालय की जरूरत पड़ती है तो घर लौटना पड़ता है, जिससे अभ्यास प्रभावित होता है।
खेल सामग्री और कोचिंग की कमी
मैदान में किसी भी खेल के लिए जरूरी उपकरणों का अभाव है। फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी जैसे खेल तो नियमित रूप से खेले जाते हैं, लेकिन इन खेलों के लिए न ही कोई निशान बनाए गए हैं और न ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए कोई सरकारी कोच उपलब्ध है। कई खिलाड़ी अपनी जेब से पैसे खर्च कर निजी कोचिंग लेते हैं या खुद से अभ्यास करते हैं। स्थानीय फुटबॉल खिलाड़ी नीलू ने बताया कि सरकार खेलों को बढ़ावा देने की बात तो करती है, लेकिन यहां न तो मैदान की घास ठीक है, न ही मैदान का डाइमेंशन।
सुरक्षा और रोशनी की भी समस्या
मैदान में सुरक्षा की दृष्टि से भी कोई इंतजाम नहीं है। न तो कोई चौकीदार है और न ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके कारण कई बार मैदान में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा देखा गया है, जिससे खिलाड़ियों को असुविधा होती है। इसके अलावा शाम के समय मैदान में पर्याप्त रोशनी नहीं होती। इससे शाम को अभ्यास करना मुश्किल हो जाता है, खासकर सर्दियों में जब दिन जल्दी ढल जाता है।
बारिश में कीचड़ और जलभराव की समस्या
मानसून के मौसम में फतेह मैदान दलदल में तब्दील हो जाता है। जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण मैदान में जगह-जगह कीचड़ और पानी भर जाता है। इससे न केवल खेल गतिविधियां रुक जाती हैं, बल्कि खिलाड़ियों को फिसलने और चोट लगने का खतरा भी बना रहता है।
स्थानीय प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय खिलाड़ियों और कोचों ने कई बार नगरपालिका और खेल विभाग को ज्ञापन सौंपकर मैदान की स्थिति सुधारने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। कुछ बार सफाई अभियान चलाए गए, लेकिन वो भी केवल दिखावे तक सीमित रहे।
जनप्रतिनिधियों से उम्मीद
खिलाड़ियों को उम्मीद है कि नए जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान देंगे और मैदान को विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। एक खेलप्रेमी नगरवासी रामनाथ साहू ने बताया कि यह मैदान खैरागढ़ की खेल प्रतिभाओं की पहचान है। इसे नजरअंदाज करना पूरे क्षेत्र के खेल भविष्य के साथ अन्याय है।
मैदान को बेहतर बनाना प्रशासन ही नहीं समाज की भी जिम्मेदारी - मंगल सारथी
सामाजिक कार्यकर्ता मंगल सारथी ने कहा कि खैरागढ़ का फतेह मैदान सिर्फ एक मैदान नहीं, बल्कि युवाओं की उम्मीदों और सपनों का केंद्र है। इसे बेहतर बनाना सिर्फ प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज का कर्तव्य है। यदि समय रहते ध्यान दिया गया तो यह मैदान न केवल खैरागढ़ बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए खेल प्रतिभाओं की नर्सरी बनेगी।
मैदान से अभी बजरी गिट्टी को हटाया गया है। लगातार पालिक के कर्मचारी सफाई कर रहे है। रही बात सुरक्षा के इंतजाम की तो बंद स्टेडियम में चौकीदार की व्यवस्था की जाती है आपने के माध्यम से जो सुझाव मिला है उसे बिल्कुल जनप्रतिनिधियों से चर्चा किया जाएगा।
नरेश वर्मा, सीएमओ नगरपालिका खैरागढ़