×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

जीवनदायिनी नदियाँ संकट में: आमनेर, पिपरिया और मुस्का में लगातार गिर रही गंदी नालियों की धार Featured

 

प्रशासनिक अनदेखी से गहराया संकट, स्वयंसेवी संस्था 'निर्मल त्रिवेणी महाअभियान' ने उठाया था सफाई का बीड़ा

 

खैरागढ़. क्षेत्र की तीन प्रमुख नदियाँ — आमनेर, पिपरिया और मुस्का — जो कभी अपने निर्मल जल और जीवनदायिनी प्रवाह के लिए जानी जाती थीं, आज गहरी पीड़ा में हैं। इन नदियों में लगातार गंदी नालियों का पानी गिरने से न केवल जल प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, बल्कि नदियों का अस्तित्व भी संकट में पड़ता जा रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर शासन-प्रशासन की लगातार अनदेखी ने स्थिति को और भी चिंताजनक बना दिया है।

 

गंदगी और बदबू का आलम: नदी अब जल नहीं, नाला बनती जा रही

 

आमनेर, पिपरिया और मुस्का जैसी सदियों पुरानी नदियाँ क्षेत्र की कृषि, पशुपालन, और पेयजल की मुख्य आधार रही हैं। मगर आज इन नदियों के किनारों पर खड़े होना भी कठिन होता जा रहा है। जगह-जगह से घरों, होटलों, और सार्वजनिक स्थानों से निकलने वाली गंदगी और सीवरेज बिना किसी शोधन के सीधा इन नदियों में गिर रहा है। इससे न केवल जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि जल जनित रोगों का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा ह

 

आती है शर्म

 

स्थानीय निवासी राम यादव के अनुसार, कुछ वर्ष पहले तक इन नदियों के किनारे धार्मिक आयोजन, पिकनिक, और पूजा-पाठ होते थे, लेकिन अब गंदगी और बदबू के कारण लोग पास भी नहीं फटकते। "हमने बचपन में यहां स्नान किया है, पर आज बच्चों को बताने में भी शर्म आती है कि ये कभी नदी थी," एक बुजुर्ग नागरिक की बातों में पीड़ा साफ झलकती है।

 

प्रशासनिक लापरवाही बनी बड़ी बाधा

 

इन नदियों की इस दयनीय स्थिति का मुख्य कारण प्रशासनिक उदासीनता मानी जा रही है। क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, शिकायतें कीं और सोशल मीडिया पर अभियान भी चलाया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय नगरीय निकाय भी इन नालों को नदियों से अलग करने की दिशा में कोई कार्य योजना नहीं बना पाया है।

 

निर्मल त्रिवेणी महाअभियान: उम्मीद की एक किरण

 

ऐसे निराशाजनक माहौल में स्वयंसेवी संस्था निर्मल त्रिवेणी महाअभियान ने जिम्मेदारी उठाते हुए इन नदियों की सफाई का अभियान शुरू किया था। संस्था के कार्यकर्ताओं ने आमनेर, पिपरिया और मुस्का नदियों के किनारों की सफाई करते हुए गंदगी और प्लास्टिक कचरे को हटाया था।

 

स्थायी समाधान की जरूरत

 

विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ सतही सफाई से बात नहीं बनेगी। जरूरत है एक दीर्घकालिक और ठोस योजना की, जिसमें नालों का शोधन, अलगाव और आधुनिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना हो। साथ ही, प्लास्टिक उपयोग पर सख्ती, नदी किनारे कचरा निष्कासन पर नियंत्रण और जनभागीदारी को बढ़ावा देना भी आवश्यक है।

 

जनता की जिम्मेदारी भी जरूरी

 

जहां एक ओर प्रशासन की भूमिका अहम है, वहीं आम नागरिकों की भी बड़ी जिम्मेदारी है। लोग यदि घरेलू और सार्वजनिक कचरा नदियों में डालने की बजाय उचित स्थानों पर निपटाएं, तो प्रदूषण को काफी हद तक रोका जा सकता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थाओं को भी नदी संरक्षण को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना चाहिए।

 

नदी बचाओ, जीवन बचाओ: यही समय है चेतने का

 

आमनेर, पिपरिया और मुस्का नदियाँ सिर्फ जल स्रोत नहीं हैं, ये हमारी संस्कृति, आस्था और जीवन की प्रतीक हैं। यदि आज हमने इन्हें नहीं बचाया, तो कल बहुत देर हो जाएगी। समय आ गया है कि हम 'नदी बचाओ, जीवन बचाओ' के संकल्प के साथ आगे आएं

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.