- ख़ैरागढ़. लोक संगीत विभाग के वटवृक्ष और संगतकार सुमरन लाल ध्रुवे गुरुवार को सेवानिवृत्त हो गए। पद्मश्री शेख गुलाब और शरीफ मोहम्मद जैसे मूर्धन्य कलाकारों के साथ मंच साझा कर चुके सुमरन लाल ध्रुवे लोक संगीत के हर एक क्षण के गवाह रहे हैं। गुरुवार को सेवानिवृत्ति बाद विवि के आधिकारिक रूप से उनका विदाई समारोह आयोजित किया गया। बकायदा सर्कुलर जारी हुआ। कार्यक्रम में कुलपति डॉ.ममता चंद्राकर,कुलसचिव प्रो.आई.डी. तिवारी,प्रो.काशीनाथ तिवारी,प्रो.योगेंद्र चौबे,पृथ्वीराज सिंह सहित अन्य मौजूद थे। कुलपति ममता चंद्राकर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विवि के आज गरिमामयी विकास में सुमरन लाल ध्रुवे जैसे कलाकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

1986 में हुए पदस्थ
संगतकार धुर्वे साल 1986 में विवि के संगतकार पद पर पदस्थ रहे। इससे पहले 1982 से 1985 तक वे अस्थाई रूप से विवि में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनकी प्रतिभा और लोक कला के प्रति समर्पण के चलते उन्हें निरन्तर अपना स्थान मिलता रहा।

राष्ट्रपतियों के समक्ष दिखाई प्रतिभा
डिंडौरी (मंडला) के ग्राम सुकुलपुरा के मूल निवासी सुमरन लाल ध्रुवे ने कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मंचों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर विवि का गौरव बढाया।1982 में बस्तर के लोक कलाकारों को प्रशिक्षित कर एसियार्ड में सफल प्रदर्शन किया। साल 81,82,83 में दिल्ली व्यापार मेला,चित्रकूट रामायण मेला व मध्य प्रदेश लोककला दल का नेतृत्व किया। राष्ट्रपति वीवी गिरी से लेकर भारत के अनेक राष्ट्र अध्यक्षों के समक्ष उन्होंने अपनी कला क्षमता का प्रदर्शन किया।
इन सम्मानों के बने हकदार
00 पद्मश्री स्व.शेख गुलाब अवार्ड 99,जबलपुर
00 लहरी अवार्ड 97
00 भोरमदेव अवार्ड 96,कबीरधाम
00 बेस्ट आर्टिस्ट अवार्ड 2003,कटनी
00 युवा अंजुम अवार्ड 90
00 पद्मश्री श्री हबीब तनवीर लोक कला सम्मान 2018
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