सिंचाई विभाग ने मनरेगा के कामों में जमकर भर्राशाही की है। शासकीय काम से पैसे बनाने के लालच में अफसरों ने एक एस्टीमेट में दो से ज्यादा स्टॉपडेम बना डाले, जबकि ब्लॉक मुख्यालय से दो अलग-अलग स्टॉपडेम की दूरी में खासा अंतर है। कुसियारी स्टॉपडेम मात्र 8 किमी की दूरी पर है, जबकि रीवागहन 25 किमी दूर है। दोनों में 17 किमी का अंतर है। इसके बावजूद एस्टीमेट में दोनों की लागत 41 लाख 75 हजार रुपए दर्शायी गई है। इसी तरह लीड चार्ट और बिलों में भी लंबा खेल खेला गया है।

नियाव@ खैरागढ़
एस्टीमेट देखकर लगता है कि अफसरों ने एक एस्टीमेट बनाकर दूसरे में केवल नाम ही बदला, बाकी सबकुछ वैसा ही रहने दिया। इसी वजह से इतना बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। एस्टीमेट में दोनों स्टॉपडेम की लंबाई 25 मीटर बताई गई है, लेकिन मौके पर रीवागहन का प्रस्तावित काम 8 मीटर से अधिक का नहीं है। इसी से अफसरों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। मनरेगा की राशि का दोहन करने की नीयत से एक एस्टीमेट फर्जी बनाया गया है। हालांकि इंजीनियरों का कहना है कि भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार एस्टीमेट तैयार किए गए हैं, लेकिन उन परिस्थितियों के बारे में वे बता नहीं पा रहे।
मौके पर मिले जेसीबी से खोदाई के निशान / मनरेगा के काम में मशीनरी का उपयोग साफ तौर पर प्रतिबंधित है। इसके बावजूद रीवागहन स्टॉप डैम में जेसीबी से खोदाई की गई है। मौके पर इसके निशान भी नजर आए। कुसियारी में भी मशीनों का खुलकर उपयोग किया गया और बिलों का भुगतान भी किया गया है।
8 किमी में दुकान और 50 के हिसाब से भुगतान / कुसियारी स्टॉपडैम के एस्टीमेट और बिलों में काफी अंतर है। लीड चार्ट में सीमेंट व छड़ की खरीदी 50 किमी दूर से दर्शायी गई है, जबकि बिल बीबीसी स्टील का लगाया गया है। यह दुकान साइट से मात्र 8 किमी की दूरी पर है। इस तरह की गड़बड़ी लगभग सभी कामों में दिखाई दे रही है।
रीवागहन में भी अपना रहे यही फार्मूला / कुसियारी में मुरुम की लीड 10 किमी दर्शायी गई है, लेकिन इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ। निर्माण में लोकल रेत का उपयोग कर 100 किमी की दूर से लाना बताया गया है। पूरे निर्माण में लीड चार्ट और स्टीमेट को दरकिनार कर काम किया गया है। रीवागहन के काम में भी यही फार्मूला अपना रहे हैं।
गेट लीक हुआ तो ईंट की दीवार बना दी / निर्माण के कुछ दिन बाद ही कुसियारी स्टॉपडेम का गेट लीक हो रहा था। सिंचाई विभाग के अफसरों ने गेट की गड़बड़ी छिपाने के लिए उसके ठीक सामने ईंट की दीवारें बना दी। इससे काम की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अब तक न जांच हुई और न ही कार्रवाई।
लागत एक पर दूरी और लंबाई में काफी अंतर
विवरण कुसियारी रीवागहन
दूरी 8 किमी 25 किमी
लागत 41.75 लाख 41.75 लाख
लंबाई 21 मीटर 8 मीटर
स्थिति काम पूरा मिट्टी खुदाई
उपयोग निस्तारी सिंचाई
अफसरों के जवाब से जानिए एस्टीमेट बनाने से ही शुरू हो जाता है खेल
राजनांदगांव से तय की गई है लीड / सबइंजीनियर जेके जैन का कहना है कि राजनांदगांव की दूरी को ध्यान में रखते हुए एस्टीमेट बनाया गया है। ठेकेदार ने बिलो में काम लिया है तो वह अपने हिसाब से मटेरियल खरीदता है। बिल के हिसाब से ही पेमेंट होता है। दरअसल सीमेंट वगैरह राजनांदगांव से ही आता रहा है तो इसी के आधार पर एस्टीमेट बनाए हैं।
भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार बने हैं एस्टीमेट / एसडीओ एसएन शर्मा का कहना है कि स्टॉपडेम का काम अभी शुरू नहीं हुआ है, दोनों एस्टीमेट भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार बनाए गए हैं। कुसियारी स्टॉपडेम काम ज़रूर पूरा हो चुका है, जिसका लाभ गांव वालों को मिल रहा है।
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