खैरागढ़ के माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की जांच में रोज नए खुलासे हो रहे हैं, आरएमए फरार है और संचालक की जांच अभी बाकी है।
खैरागढ़. माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के संचालक ने जिस डॉक्टर की एमबीबीएस की डिग्री को आधार बनाया था, वह नियम विरुद्ध गतिविधियों से अनभिज्ञ थे। खुद डॉ. आशुतोष भारती ने अपने बयान में यह बात कही है। वह यह भी कह चुके हैं कि वह ढाई-तीन महीने से हॉस्पिटल आए ही नहीं। उन्हें स्टॉफ के बारे में भी पता नहीं है, जबकि मेडिकल डायरेक्टर होने के नाते डॉ. भारती को यह जानकारी होनी चाहिए।
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हालांकि अपने बयान में उन्होंने संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू के अलावा आरएमए डॉ. शैलेष बंजारे का नाम लिया है, जो उनकी अनुपस्थिति में हॉस्पिटल का कामकाज देखते थे। यहां डॉ. दुग्धेश्वर साहू डीएचएमएस (डिप्लोमा इन होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी) हैं और डॉ. बंजारे आरएमए (रजिस्टर्ड मेडिकल असिस्टेंट) हैं।
इनके अलावा दुर्ग के गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. कृष्णकांत डहरिया और रायपुर के डॉ. वैभव सिंह का नाम भी डॉ. भारती ने लिया है। बताया जा रहा है कि ये दोनों भी सरकारी डॉक्टर हैं, जो समय-समय पर अपनी सेवाएं देते रहे हैं। हालांकि डॉ. डहरिया ने एक बार हॉस्पिटल विजिट की बात स्वीकारी भी है।
कागजात खंगालने के बाद जांच टीम को कुछ और सरकारी डॉक्टरों के नाम मिले हैं। हालांकि फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है। परन्तु इस छानबीन में एक बात स्पष्ट हो गई है कि हॉस्पिटल में आईपीडी है। यहां मरीज भर्ती किए जाते रहे और उनके इलाज की जिम्मेदारी आरएमए के भरोसे ही रहती थी।
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बताया गया कि आरएमए केवल सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे सकते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ आरएमए ऐसे हैं, जो खुद की प्रैक्टिस कर रहे हैं। यही वजह रही की अस्पताल में छापेमारी के समय भी आरएमए बंजारे जांच टीम के सामने उपस्थित नहीं हुए।
माधव मेमोरियल हॉस्पिटल पर बन सकते हैं ये चार मामले
नर्सिंग होम एक्ट: हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नहीं है और न ही नर्सिंग होम एक्ट के नार्म्स का पालन किया जा रहा है। वहां काम करने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी योग्य नहीं हैं। हॉस्पिटल में आईपीडी है, ऑपरेशन थिएटर है, जहां महिलाओं की नसबंदी भी की गई है, जबकि उनके फार्म में डॉक्टर के नाम का उल्लेख नहीं है। इस तरह उपचार से संबंधित तमाम अनियमितताएं पाई गईं हैं।
आर्थिक अनियमितता: हॉस्पिटल में हर महीने लाखों का लेनदेन हुआ है। जांच टीम ने इससे संबंधित कच्चा चिट्ठा जब्त किया है। पक्के में किसी तरह का हिसाब नहीं मिला है। खुद डॉ. भारती ने यह बात स्वीकारी है कि उन्हें केवल ओपीडी की फीस दी गई, वह भी कैश।
धोखाधड़ी का मामला: माधव मेमोरियल हॉस्पिटल के प्रबंधन ने असाध्य रोगों के इलाज का दावा किया, जबकि संस्था ही पंजीकृत नहीं है। इसके अलावा हॉस्पिटल में कहीं भी विशेषज्ञों के नाम का उल्लेख नहीं किया। जिस एमबीबीएस डॉक्टर को मेडिकल डारेक्टर बनाया, वह खुद संचालक को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
महामारी रोग अधिनियम: प्रबंधन ने हॉस्पिटल में कोरोना टेस्ट किए जाने को प्रचािरत किया और वहां मिले दस्तावेजों से यह प्रमाणित भी हो रहा है कि वहां कोरोना जांच किए गए, जबकि इसकी जानकारी बीएमओ को नहीं दी गई। ऐसे में महामारी रोग अधिनियम के तहत भी कार्रवाई संभव है।
एसडीएम को रिपोर्ट सौंपेगी जांच टीम
बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने बताया कि नायब तहसीलदार लीलाधर कंवर के सामने हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू का बयान बाकी है। उनका बयान होते ही अनुशंसा के साथ एसडीएम को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई वहीं से होगी।
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